22 फरवरी 2024। अवध अग्निहोत्र संघ,लखनऊ के तत्वावधान में 22 फरवरी को अग्निहोत्र जयन्ती के पावन अवसर पर गोमतीनगर विस्तार मे सांय काल सूर्यास्त बेला में निर्धारित समय पर सामूहिक वैदिक यज्ञ अग्निहोत्र संपन्न हुआ। जिसमें बड़ी संख्या में आगंतुकों एवम अग्निहोत्र-कर्ताओं ने 25 हवनपात्रों में स्वयं अग्निहोत्र करके इसके महत्व को जाना सामूहिक अग्निहोत्र से पूर्व महामृत्युंजय का पाठ और यज्ञ किया गया । 22 फरवरी 1963 शिवरात्रि के दिन युग प्रवर्तक श्री माधव स्वामी पोतदार साहब ने प्रथम बार अग्निहोत्र के महत्व का प्रचार प्रसार करके प्रारम्भ किया । बैरागढ़ भोपाल में 61 वर्ष पूर्व प्रारंभ किये गये अग्निहोत्र को जगह जगह 22 फरवरी को अग्निहोत्र जयंती के रूप में पूरे उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। आयोजन कर्ताओं द्वारा कार्यक्रम में आये सभी लोगों को अग्निहोत्र पत्रक एवम बूंदी प्रसाद भी बांटा गया। प्रामाणिक वैदिक अग्निहोत्र के असीमित लाभ न केवल यज्ञकर्ता को बल्कि उनके परिवार, समाज और इस पूरी सृष्टि को प्राप्त होते हैं। अग्निहोत्र पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति का सबसे सरल सहज एवम सुगम उपाय है।अग्निहोत्र एक ऐसा सूक्ष्म यज्ञ है जिस पर बहुत कम खर्च में असीमित लाभ मिलता है।वस्तुतः ये परमपिता परमेश्वर के प्रति कृतज्ञता या धन्यवाद ज्ञापित करने के लिए ,प्रतिदिन सूर्योदय और सूर्यास्त के निश्चित समय पर गाय के घी से मिश्रित दो चुटकी साबुत चावल अक्षत को गाय के कंडों पर अग्नि प्रज्वलित कर आहुति देकर किया जाता है, जो शारीरिक मानसिक और तमाम प्रकार की विषाणु जनित बीमारियों को वातावरण से शीघ्र मिटाने में समर्थ है।जिसे वैज्ञानिकों ने सिद्ध भी किया है। सामूहिक अग्निहोत्र यज्ञ का कार्यक्रम, अवध अग्निहोत्र संघ के श्री रामचंद्र जी के निर्देशन में,श्री सतीश गुप्ता, डॉ
निशिकांत मिश्र, श्री अनुपम दीक्षित,
श्री विजय अग्निहोत्री आदि के सहयोग से अत्यंत सफल रहा।