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सहारा हॉस्पिटल में पहली बार नयी तकनीक “लॉट सीआरटी पेसमेकर” से मरीज को मिला नया जीवन

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लखनऊ : जनपद के निवासी 64 वर्षीय मरीज अमरनाथ सिंह एक दिन अचानक ही बेहोश हो गए। उनके बेटे ने घर पर उन्हें सीपीआर देकर रिवाइव किया।
तब इमरजेंसी में मरीज को सहारा हॉस्पिटल लाया गया और जब ईसीजी करवाया गया तब उसमें कम्पलीट हार्ट ब्लॉक (सी एज बी) पाया गया जो कि एक जानलेवा स्थिति थी। मरीज की हालत को देखते हुए सबसे पहले सहारा हॉस्पिटल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. धीरज सिंह ने इमरजेंसी टेम्प्रेरी पेसमेकर लगाकर मरीज को स्थिर किया। मरीज का लगभग सात-आठ साल से दिल्ली के बड़े अस्पताल में इलाज चल रहा था। इको करने पर पता चला कि मरीज के हृदय की पंपिंग बहुत कम लगभग 28% थी। जब पुरानी ईसीजी की रिपोर्ट देखी गयी तो पता चला कि उनको पहले से लेफ्ट बंडल ब्रांच ब्लॉक (एलबीबीबी) था।
तब मरीज के परिजनों से बात करके लखनऊ में पहली बार एक नयी तकनीक का पेसमेकर जिसे “लॉट सीआरटी” (लेफ्ट बंडल ब्रांच ऑप्टिमाइज्ड- सी आर टी) पेसमेकर कहते हैं, को लगाकर मरीज की जान बचायी गयी।
डॉ. धीरज सिंह ने बताया कि लेफ्ट बंडल ब्रांच ऑप्टिमाइज्ड- सी आर टी) पेसमेकर का इस्तेमाल लखनऊ व पूर्वी उत्तर प्रदेश और सेंट्रल यूपी में पहली बार किया गया।
अमूमन गम्भीर हार्ट फेलियर के मरीजों में सामान्यतः तीन तारवाला सी आर टी पेसमेकर लगाया जाता है, जबकि इसकी तुलना में लॉट सीआरटी (लेफ्ट बंडल ब्रांच ऑप्टिमाइज्ड सी आर टी) चार तारवाला पेसमेकर है जिसमें एक अतिरिक्त चौथी पेसमेकर लीड हार्ट के लेफ्ट बंडल सिस्टम में लगायी जाती है, जिससे कंडक्शन सिस्टम पेसिंग होती है।
डॉ.धीरज सिंह ने यह भी बताया कि इस नयी तकनीक ( लाट सी आर टी) से इलाज पाकर मरीज दूसरे ही दिन अपने दम पर चलने लगा और इसके लिए उसने सहारा हॉस्पिटल के डॉक्टर विशाल श्रीवास्तव कार्डियक सर्जन और समस्त हार्ट टीम, मेडिकल पैरामेडिकल स्टाफ एवं यहां की उच्च स्तरीय सेवाओं व सुविधाओं की प्रशंसा की।
सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सलाहकार अनिल विक्रम सिंह ने बताया कि हमारे अभिभावक सहाराश्रीजी की प्रेरणा से ऐसा विश्वस्तरीय सहारा हॉस्पिटल संचालित हो रहा है, जहां हर प्रकार के गम्भीर मरीजों को उपचार मिलता है। इसके लिए अत्याधुनिक उपकरणों, तकनीकी व प्रक्रियाओं का प्रयोग किया जाता है। इसी कड़ी में नये आयाम की तरफ सहारा हॉस्पिटल एक और कदम बढ़ाया है और लखनऊ पहली बार इस तरह के पेसमेकर का इस्तेमाल किया गया। इस सफलता के लिए श्री सिंह ने समस्त डॉक्टरों की टीम और उपचार से जुड़े स्टाफ को बधाई दी।

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