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सर्वेश अस्थाना डॉ दूधनाथ शर्मा सम्मान व मणिका दुबे पं दीनदयाल उपाध्याय सम्मान से सम्मानित

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महाशिवरात्रि पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह 

लखनऊ, 18 फरवरी 2023।  पं दीन दयाल उपाध्याय साहित्यिक सेवा संस्थान के तत्वावधान में आज सायंकाल शिव पार्क, शिव नगर, खदरा, सीतापुर रोड, लखनऊ में महाशिवरात्रि पर्व पर आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह में सर्वेश अस्थाना डॉ दूधनाथ शर्मा सम्मान व मणिका दुबे पं दीनदयाल उपाध्याय सम्मान से सम्मानित हुईं।

समारोह में विशिष्ट अतिथि प्रकाश पाल प्रदेश उपाध्यक्ष, भाजपा, बृज बहादुर प्रदेश उपाध्यक्ष भाजपा, नीरज सिंह युवा नेता, भाजपा, डॉ. नीरज बोरा विधायक, उत्तर विधानसभा लखनऊ, पं आदित्य द्विवेदी और हरीश चंद्र अग्रवाल ने डॉ सर्वेश अस्थाना को पं दूधनाथ शर्मा सम्मान, मणिका दुबे को पंडित दीनदयाल उपाध्यााय सम्मान और विनोद राज योगी को डॉ  रमेेेश रस्तोगी सम्मान से सम्मानित किया।

इस अवसर पर आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मलेन में मणिका दुबे, सिहोरा (जबलपुर) ने कहा –

हाल दिल का छिपाना नहीं आएगा, कौन तुम सा तराना नहीं गाएगा, आज मुस्कान की तुमने तारीफ़ की, अब मेरा मुस्कुराना नहीं जाएगा। प्रमोद पंकज की बानगी थी – ज़ब तुम प्यार दुलार दिखाती, पर्स मेरी खाली हो जाती, लुट कर मैं सकरा होता हूं, बिनु बलि का बकरा होता हूं।

डॉ विष्णु सक्सेना की बानगी थी – तुम हवा बन सको नाप लूं मैं गगन, फिर कोई डर नहीं मुझको तूफान से

और जो छोड़ा इधर तुमने तीरे नजर,ये परिंदा चला जायेगा जान से।

सर्वेश अस्थाना ने सुनाया – रही अंधेपन की बात

तो यह परमानेंट है टिकाऊ है, क्योंकि आजकल आंखें तो आंखें आत्मा तक बिकाऊ है। अशोक चारण जयपुर की यह पंक्तियां खूब सराही गई , उनकी पंक्तियां थीं- मर्यादा की रेखा से जब पार चरण हो जाता है, पंचवटी से तब सीता का मान हरण हो जाता है, नीड़ छोड़ कर पंछी के बच्चे यूँही अकुलाते है, पेड़ छोड़ने वाले फल चाकू से काटे जाते है।

विनोद राजयोगी ने कहा- पकड़कर हाथ में चारा सड़क पर रोज़ टहलाते, बिठाकर कार में अपनी इन्हें गंगा में नहलाते, जानवर वोट देते तो हमारे देश के नेता,दुलत्ती सहन करके भी गधों के पांव सहलाने।

प्रख्यात मिश्रा ने सुनाया- राष्ट्र मिल कर लहू में बहे उम्र भर, मातृ भूमि की जय हम कहे उम्र भर, उम्र छोटी मिले या की लंबी मिले, पर तिरंगा सरो पर रहे उम्र भर। इसके पूर्व अभिषेक श्रीवास्तव ने भजनों की सरिता प्रवाहित की।

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