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सबसे सफल अभिनेत्रियों में गिनी जाती हैं रेखा

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अड़तीस सालों के लम्बे फिल्मी करियर में लगभग 180 से ऊपर फिल्मों में काम किया है

◾हेमन्त शुक्ल (वरिष्ठ पत्रकार व फिल्म समीक्षक) 

दस अक्टूबर 1954 क़ो मद्रास (अब चेन्नई) में जन्मी हिन्दी फिल्मों की मशहूर ग्लैमरस अभिनेत्री रेखा अब 69 वर्ष की हो चुकी हैं लेकिन उनका ग्लैमर कहीं से कम नहीं दिखता। रेखा ने 180 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। कहा जा सकता है कि 80-90 के दशक में रेखा हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी स्टार रहीं। रेखा ने कम उम्र में ही परिवार की जिम्मेदारी सम्भाल ली थी। दक्षिण भारतीय फिल्मों के हीरो जेमिनी गणेशन-पुष्पावली की पुत्री होने से बतौर लीड एक्ट्रेस 1969 में हीरोइन के रूप में उन्होंने अपना डेब्यू सफल कन्नड़ फिल्म आपरेशन जैकपाट नल्ली सीआईडी 999 से किया था जिसमें उनके हीरो दक्षिण भारत के मशहूर कलाकार राजकुमार थे। फिल्म के एक किसिंग सीन के विवाद के चलते यह फिल्म नहीं रिलीज हो पायी। बाद में इस फिल्म को “दो शिकारी” के नाम से रिलीज किया गया।
रेखा ने दक्षिण भारत की एकाध फिल्मों में नाम कमाने के बाद बॉलीवुड का रुख किया और यहां भी अपना सिक्का जमा लिया। रेखा की हिंदी डेब्यू फिल्म सावन भादो(1970) रही। उनकी यह शुरुआत उनके धाकड़पने और स्पष्टवादिता से भरी रहने की वजह से उनके फिल्मी करियर को निरंतर आगे ही बढ़ाती रही और आज भी रेखा का जलवा कायम है। वह तेलगु को अपनी मातृभाषा मानती हैं, मगर हिन्दी, तमिल और इंग्लिश भी अच्छे से बोल लेती हैं।
मुझे बम्बई प्रवास के दौरान एक वरिष्ठ उर्दू फिल्म पत्रिका के सम्पादक शमीम ज़ुबैरी ने मार्च 1978 में बताया था कि रेखा ने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस, जो वर्ष 1968 में हुई थी, में ही एक धाकड़ की तरह स्पष्ट रूप से कह दिया था कि वह फिल्मों में पैसा कमाने आयी है!
हुआ यूं था कि प्रोड्यूसर कुलजीत पाल ने उसे मोहन सहगल के फिल्म की हीरोइन साइन करने के बाद शालीमार होटल में जर्नलिस्टों को उससे मिलवाने के लिए बुलवाया था। उसदिन हंसती-खिलखिलाती रेखा जर्नलिस्टों के सामने ऐसे आकर धम्म से बैठी जैसे बहुत पुरानी जान-पहचान रही हो और फिर सबकी तरफ शरारत भरी नजर फेंकते हुए उसने कहा- पूछिए क्या पूछना है, आपको… पूछिए ना और उसके इस पहले ही चैलेंज पर पुराने धाकड़ किस्म के जर्नलिस्ट भी सिर्फ गला खंखार, साफ करके रह गए थे! फिरभी एक पत्रकार ने घिसा-पिटा सवाल कर दिया था कि आपको फिल्मों में काम करने का खयाल कैसे आया… और इसी का उत्तर रेखा ने दिया था कि सिर्फ पैसा कमाने वह फिल्मों में आयी है।
जबकि वहां मौजूद पत्रकारों की सोच रही होगी कि नौसिखिया की तरह कहेगी कि वह अच्छी फिल्में चुनने और अभिनय के जरिए मशहूर होना चाहती है।
वरिष्ठ पत्रकार जुबेरी भाई साहब की कही हुई बात आज 45 वर्षों तक भी मुझे याद है और इस संदर्भ में रेखा की फिल्मी यात्रा का बखूबी आकलन करता रहा हूं कि उसने शुरुआती दौर में छोटी चिरकुट फिल्मों को भी स्वीकार करके भी अपने अभिनय को अच्छा प्रदर्शित करने की भरपूर कोशिश की। साथ ही फिल्मी करियर में खुद को पूरी तरह प्रमाणित कर दिया कि उसमें पैसा कमाने की और अपने सर्वश्रेष्ठ अभिनय की भरपूर कूब्बत मौजूद है।
रेखा ने अपने 38 सालों के लम्बे करियर में लगभग 180 से उपर फिल्मों में काम किया है। अपने करियर के दौरान उन्होंने कई दमदार रोल किए और कई मजबूत फीमेल किरदार को पर्दे पर बेहतरीन तरीके से पेश किया। मुख्यधारा के सिनेमा के अलावा उन्होंने कई आर्ट फिल्मों में भी काम किया जिसे भारत में समानांतर सिनेमा कहा जाता हैै। उन्हें तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुका है, दो बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का और एक बार सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का जिसमें क्रमशः खूबसूरत, खून भरी मांग और खिलाडि़यों का खिलाड़ी जैसी फिल्में शामिल हैं। उमराव जान के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल चुका है।
हालांकि उनके करियर का ग्राफ कई बार नीचे भी गिरा लेकिन उन्होंने अपने को इससे उबारा और स्टेटस को बरकरार रखने के लिए उनकी क्षमता ने सभी का दिल जीता।
यह तो सभी जानते हैं कि उनकी पहली फिल्म सावन भादो(1970) हिट रही और रेखा रातों रात स्टार बन गयीं। बाद में उन्हें कई फिल्मों में रोल मिलने लगे लेकिन वे एक ग्लैमर गर्ल से ज्यादा कुछ नहीं थे। उस समय उन्होंने रामपुर का लक्ष्मण, कहानी किस्मत की, प्राण जाए पर वचन ना जाए जैसी फिल्मों में काम किया। इन सबने अच्छा कारोबार किया। उनकी ऐसी पहली फिल्म जिसमें उनकी परफाॅर्मेंस को सराहा गया, वह थी अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म “दो अन्जाने” जिसमें उन्होंने अमिताभ की लालची बीवी का किरदार निभाया था। इस फिल्म को दर्शकों और आलोचकों की तरफ से ठीकठाक रेस्पांस मिला। फिल्म ‘घर’ उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट रही। यह फिल्म उनके करियर का माइलटोन रही और फिल्म में उनके अभिनय को आलोचकों और जनता दोनों ने काफी सराहा। इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के तौर पर पहली बार फिल्मफेेयर पुरस्कार में नामांकित किया गया।
उसी साल आयी फिल्म मुकद्दर का सिंकंदर में वे एक बार फिर अमिताभ बच्चन के साथ दिखायी दीं। यह फिल्म उस साल की बड़ी हिट रही और रेखा उस समय की सबसे सफल अभिनेत्रियों में शुमार हो गयी। फिल्म की काफी तारीफ हुई और रेखा को सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री के तौर पर फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। 2010 में उन्हें भारत सरकार की ओर से पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा गया।
पुराने फिल्म शौकीनों में अधिकतर जानते हैं कि रेखा साउथ के बड़े स्टार जेमिनी गणेशन की बेटी हैं। वह साउथ के बड़े स्टार थे,‌ उनके चार्मिंग लुक्स पर फैंस मरती थीं जोकि खासतौर पर तमिल फिल्मों के लिए काम करते थे। उनकी रोमांटिक फिल्में खूब चलती थीं। 1947 में फिल्म मिस मालिनी से उन्होंने फिल्मों में डेब्यू किया था। पांच दशकों के करियर में जैमिनी ने 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। सिल्वर स्क्रीन पर उनकी जोड़ी एक्ट्रेस सावित्री के साथ खूब पसंद की गयी थी। दोनों को सेट पर प्यार हुआ और उनकी शादी हुई। बाद में दोनों अलग हो गए थे। जैमिनी के 8 बच्चों में रेखा भी एक थीं।
रेखा का पूरा नाम भानुरेखा गणेशन है। रेखा का परिवार बड़ा है। जेमिनी गणेशन की दो पत्नियां थीं- पुष्पावली (रेखा की मां) और सावित्री। लेजेंडरी एक्ट्रेस सावित्री रेखा की सौतेली मां थीं। जैमिनी गणेशन ने चार शादियां की थीं. इन चारों शादियों से जैमिनी के 8 बच्चे थे। पहली पत्नी से चार बेटियां, दूसरी पत्नी से दो बेटियां (रेखा और राधा), तीसरी पत्नी से एक बेटा और एक बेटी। पिता के साथ भले रेखा के रिश्ते अच्छे नहीं थे मगर भाई-बहनों से रेखा का अच्छा सम्बन्ध रहा है। रेखा की तरह उनके भाई-बहन ज्यादा लोकप्रिय नहीं हैं। हालांकि रेखा की सगी बहन राधा ने शादी से पहले साउथ इंडस्ट्री में थोड़ा बहुत काम किया मगर शादी के बाद फिल्मी करियर छोड़ा और नयी पारिवारिक जिन्दगी शुरू कर दी। रेखा की दूसरी बहन डॉक्टर रेवती स्वामिनाथन अमेरिका में डॉक्टर हैं, तीसरी बहन डॉक्टर कमला सेल्वाराज चेन्नई में अपना अस्पताल चलाती हैं। वह स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। चौथी बहन नारायणी गणेशन जर्नलिस्ट हैं, जो साइंस, फिलोस्फी, हैरिटेज पर लिखती हैं। रेखा की पांचवीं बहन विजया चामुण्डेश्वरी पॉपुलर फिटनेस एक्सपर्ट हैं। वहीं छठी बहन जया श्रीधर भी डॉक्टर हैं, साथ में हेल्थ एडवाइजर भी हैं।
अब उनकी खुद की पारिवारिक जिन्दगी को देखा जाए तो 1990 में रेखा ने दिल्ली के एक कारोबारी मुकेश अग्रवाल से शादी कर ली। पहली मुलाकात के एक महीने बाद ही यानी 4 मार्च 1990 को मुकेश ने रेखा को प्रोमोज़ कर दिया और फिर उसी रात 37 साल के मुकेश और 36 साल की रेखा ने जूहू के मुक्तेश्वर देवालय मंदिर में सात फेरे लेकर शादी कर ली थी।
अफवाह यह भी उड़ी कि उन्होंने 1973 में ही अभिनेता विनोद मेहरा से शादी कर ली थी, लेकिन 2004 में सिमी ग्रेवाल के टीवी इंटरव्यू में रेखा ने मुकेश के साथ शादी का खंडन किया और उन्हें तथा विनोद मेहरा को अपना वेलविशर बताया। अफवाहों की ही लें तो फिल्मी गॉसिप पत्रिकाओं ने रेखा और अमिताभ बच्चन को लेकर एक से एक कहानियां गढ़ीं, लेकिन ऐसी कहानियां बहुत दिनों तक नहीं चलतीं।
…अगर चलतीं तो उनमें कुछ ज्यादा इज़ाफा ही हुआ होता मगर उनकी जिंदगी आज भी सामान्य ढंग से गुजर रही है। वह अभी मुम्बई के बांद्रा इलाके में रहती हैं।

रेखा की फिल्मी यात्रा‌:
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सावन भादो- 1970
दोस्त और दुश्मन, ऐलान, गोरा और काला- 1971
रामपुर का लक्ष्मण, जमीन और आसमान, धर्मा, नमक हराम- 1972
कहानी किस्मत की, एक बेचारा, बरखा बहार, हसीनों का देवता, कीमत- 1973
अनोखी अदा, आपकी खातिर, जीरो, वो मैं नहीं- 1974
धर्मात्मा, आक्रमण, दफा 302- 1975
दो अन्जाने, ईमान धरम, बाजी, भरोसा, मंगलसूत्र, गांव हमारा शहर तुम्हारा, कबीला- 1976
मुकद्दर का सिकंदर, खून पसीना, गंगा की सौगंध, आलाप, घर, मुकद्दर, दिलदार, प्रेम बंधन, भोला भाला, चक्कर पे चक्कर, सावन के गीत, दुनिया का मेला- 1978
सुहाग, मिस्टर नटवरलाल, कर्तव्य, राम भरोसे, जानी दुश्मन, दो मुसाफिर, फरिश्ता और कातिल, प्राण जाए पर वचन न जाए, राम कसम- 1979
राम बलराम, मेहंदी रंग लाएगी, जुदाई, एक ही भूल, काली घटा, नीयत, एग्रीमेंट, चेहरे पे चेहरे- 1980
सिलसिला, कलयुग, चरनदास, दासी, राम तेरे कितने नाम, उमराव जान, खूबसूरत- 1981
मांग भरो सजना, एक ही रास्ता- 1982
विजेता, साजन की सहेली, झूठी, अगर तुम ना होते, गजब, निशान, प्रेम तपस्या, रास्ते प्यार के- 1983
माटी मांगे खून, बिंदिया चमकेगी, आशा ज्योति- 1984
उत्सव- 1985
सदा सुहागन, जाल, झूठा सच, फासले- 1986
इंसाफ की आवाज, लॉकेट, अपने अपने- 1987
बीवी हो तो ऐसी, खून भरी मांग, सूरमा भोपाली, इजाजत- 1988
अन्जुमन, एक नया रिश्ता- 1989
अमीरी गरीबी- 1992
मैडम एक्स, सौतन की बेटी, मेरा पति सिर्फ मेरा है- 1993
खिलाड़ियों के खिलाड़ी, औरत औरत औरत- 1996
आस्था- 1997
किला, मदर 98, उड़ान-
1998

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