Home न्यूज सनातन संगम न्यास व दिक्षा संस्थान के संयुक्त तत्तवावधान में हुआ...

सनातन संगम न्यास व दिक्षा संस्थान के संयुक्त तत्तवावधान में हुआ धम्मायोजन

164
0

आपसी टकराव के अंधकार को मिटाएगी सनातन सगंम की ज्योति-डॉ. अतुल कृष्ण

लखनऊ। आज सनातन संगम न्यास के संयुक्त तत्वाधान में प्रथम सनातनी धम्मायोजन हुआ। इस अवसर पर वरिष्ठ समाज सेविका नम्रता पाठक व विषिष्ठ अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेष भाजपा व्यापार प्रकोष्ठ के संयोजक श्री विनीत शारदा रहे।

इस आयोजन का आरम्भ सनातनी पद्धति के अनुसार वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पंडित रोधेष्याम तिवारी द्वारा हवन के साथ हुआ। श्री तेज शंकर अवस्थी ने यजमान रूप में सभा का प्रतिनिधत्व किया।

इसके बाद विभिन्न पंथों के धर्माचार्यों द्वारा बौध मत के थेरावादी व महायानी मंत्रोच्चारण के अलावा णमोकार मंत्र व गुरबाणी का पवित्र पाठ हुआ। तत्पष्चात ग्रंथी सरदार रंजीत सिंह जी ने शबद किर्तन, श्री अभिषेक जैन, वेन उत्तमासीरी ने अपने अपने मतों के अनुसार मंत्रोचारण किया। सभी विद्ववानों ने हिन्दू, जैन, बौद्ध एवं सिख धर्म की व्याख्या करते हुए अपने अपने मतों में सनातन मूल्यों के विद्यामान होने को स्पष्ट किया।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सनातन ज्योति को धम्मातिथियों एवं धर्माचार्यों के द्वारा प्रज्जवल्लित किया किया गया। इस दौरान मुख्यअतिथि श्रीमती नम्रता पाठक, वरिष्ठ समाज सेवी, सनातन संगम न्यास के न्यासी डॉ अतुल कृष्ण, श्री देवेष दीक्षित, विवेक कुमार, सरदार जसविंदर सिंह, श्री अभिषेक जैन, पूर्व विधायक श्री सुरेष राठौर, आदि ने सनातन संगम ज्योति को संयुक्त रूप से प्रज्जवल्लित किया।

सनातन संगम न्यास के संस्थापक डॉ. अतुल कृष्ण ने बताया कि सनातन का अर्थ है, वह जो चिरकाल से है, जो शाश्वत है जो अपरिवर्तनीय है द्य जब इस शब्द का प्रयोग किसी दर्शन के संबंध में किया जाता है तो इसका अर्थ उन सिद्धांतों से होता है जो किसी व्यक्ति के द्वारा नहीं बनाए गए एवं स्वयं प्रकृति ने उन्हें मानव को उसके धर्म स्वरूप दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति के द्वारा दिए गए सनातन मूल्य वे हैं जिन पर चलकर व्यक्ति अपना एवं संपूर्ण सृष्टि का मंगल कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह सनातन मूल्य प्रेम, करुणा, मैत्री, समानता सद्भावना एवं समन्वय का हैं। वर्तमान में यदि सनातन धर्म की चर्चा की जाती है तो ऐसा प्रतीत होता है की मूर्ति पूजक हिंदू ही सनातनी है। उन्होंने कहा कि सनातन भावों का किसी की पूजा पद्धति से कोई संबंध नहीं है, प्राथमिक रूप से यह भाव लौकिक व्यवहार से संबंध रखते हैं द्य यदि इतिहास को देखा जाए तो सनातन धर्म की स्पष्ठ व्याख्या तथागत बुद्ध ले की थी।
सारनाथ में धर्म चक्र प्रवर्तन करते समय तथागत बुद्ध ने सर्वप्रथम मध्य मार्ग एवं अष्टांगिक मार्ग का विवरण देते हुए यह स्पष्ट रूप से कहा था कि, ‘‘ऐसो धर्म सनातनो‘‘।अतः यदि कोई भी पथ जो प्रेम करुणा मैत्री सामान्य सद्भावना एवं समन्वय के भावों को अपने में समाहित करता हो वह सनातनी पथ है। इन भावनाओं को सम्माहित किये हुए हिन्दू, जैन, सिख, बौद्ध सभी सनातनी पंथ है। उन्होंने कहा कि यदि कोई मुस्लिम या इसाई भी इन भावनाओं को अपनाता है तो वो भी सनातनी मुस्लिम व सनातनी इसाई होगा।

डॉ. अतुल कृष्ण ने आगे कहा कि आज आपसी टकराव के कारण जो अंधकार चारों ओर फैला है उसे मिटाने का काम सनातन संगम की यह ज्योति ज्वाला बनकर करेगी। सनातन संगम के इस आयोजन के लिए आज के दिन को चुने जाने की वजह बताते हुए कहा कि आज का दिन समन्वय का दिन है । आज स्वर्गीय दीन दयाल उपाध्याय की पुन्यतिथि है, उन्हें याद करने का दिन है। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी। उनको सनातन संगम की ज्योति जलाकर याद करने से अच्छी श्रद्धांजलि भला क्या हो सकती है।

मुख्य अतिथि श्रीमती नम्रता पाठक ने कहा कि सनातन संगम के इस पुनीत विचारधारा को ना केवल शहरो तक सीमीत किया जाए बल्कि इसे गांव-गांव तक पहुंचाया जाए। इस काम में मैं सनातम संगम न्यास के साथ सदैव कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए तैयार हूँ।
इस अवसर पर सनातन संगम न्यास की लखनऊ शाखा के प्रभारी श्री देवेश दीक्षित ने कहा कि लखनऊ में जो सनातन ज्योति प्रज्जवलित की गयी है वो पूरे प्रदेश में प्रकाश पुन्य के रूप में तिव्रता के साथ फैलेगी शिघ्र ही कानपुर, बनारस, इत्यादि प्रमुख नगरों में भी कार्यक्रम आयोजित किया जाऐगा।

कार्यक्रम में वक्ता के तौर पर अपने संबोधन में सर्वाेच्च न्यायालय में अधिवक्ता व सामाजिक कार्यकर्ता सुबुही खान ने कहा कि धर्म के सभी रुपों को स्वीकार करते हुए उनमें विश्वास करना, पंथों का सम्मान करना व संस्कृति को संरक्षित व संवर्धित करना ही मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म है। जिस सनातन संस्कृति को हम जागृत करना चाहते हैं वो क्या है, हमरा कर्तव्य ही सनातन है। अपने कर्तव्यों को अच्छी तरह निर्वहन करना ही सनातन है। मैं सनातनी हूं लेकिन पंथ मुस्लिम है। सनातन एक ऐसा शब्द है जिसमे सभी धर्म सम्माहित हैं।

बीजेपी प्रवक्ता श्री अशोक पाण्डे ने कहा कि आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्य तिथि पर हम उन्हें नमन करते हैं। सनातन वो है जिसका न आदि है न अंत है, जिसकी उत्पत्ति नहीं उसका अंत कैसे। भगवान बुद्ध, स्वामी विवेकानंद श्रीकृष्ण सनातन को आगे बढ़ाने का काम किया।

श्री सुरेश राठौर ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि धर्म सनातन संस्कृति इसके उपर चाहे जितना बोल लें उसकी गहराई तक नहीं जा सकता। जब से ब्रह्माण्ड है तब से सनातन है। श्रीराम मंदिर का प्रांण प्रतिष्ठा हो रहा था तो पूरी दुनिया देख रही थी। देश के अंदर रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति सनातनी है।

श्री सुरेश राठौर, पूर्व विधायक एवं रविदास अखाडा के राष्ट्रीय संयोजक, श्री सरोज शुक्ला, पूर्व अध्यक्ष लखनऊ बार एसोसिएशन, श्री अशोक पाण्डेय, प्रवक्ता बीजेपी, श्री अजय त्रिपाठी भाजपा नेता, ने भी कार्यक्रम को सम्बोधित किया।

कार्यक्रम का समापन सनातन संकल्प एवं आजाद हिन्द गान के साथ हुआ। आयोजन के सफल संचालन न्यासी श्री विवेक कुमार द्वारा किया गया। कार्यक्रमें विषेष रूप से ब्रिगेडियर यसपाल, कर्नल अमित, क्रिकेट के प्रशिक्षक, श्री संजय, सहित सैकड़ों लोगों की उपस्थिति रही।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here