Home न्यूज शहर वासियों को मिलेगा विभिन्न प्रदेशो को लोक संस्कृति को देखने का...

शहर वासियों को मिलेगा विभिन्न प्रदेशो को लोक संस्कृति को देखने का अवसर

85
0

लोक सांस्कृतित संस्था ’ सोन चिरैया’ की ओर से 25 व 26 मार्च को लोहिया पार्क में होगा लोक सांस्कृतिक उत्सव ’देशज’ का आयोजन
लखनऊ, 24 मार्च। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में शनिवार से देश भर से आए लोेक कलाकारों को मेला लगेगा। यहां के निवासियों को विभिन्न प्र्रदेशों की लोक संस्कृति की से रूबरू होने को सुअवसर मिलेगा। लोक सांस्कृति संस्था ’सोन चिरैया’ की ओर से 25 व 26 मार्च दो दिवसीय समारोह ’देशज’ का आयोजन शहर के गोमती नगर स्थित लोहिया पार्क में किया जाएगा, जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि केन्द्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल करेंगे। विशिष्ट अतिथि के तौर पर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश कुमार मेश्राम भी आमंत्रित किए गए है। वहीं दूसरे दिन समापन समारोह में उ.प्र. के संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह को बतौर मुख्य अतिथि निमंत्रण दिया गया है। यह जानकारी संस्था की सचिव एवं प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने समारोह स्थल में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। इस अवसर पर देशज पत्रिका का लोकार्पण भी किया गया।
उन्होंने बताया कि इस बार समारोह में लोकनिर्मला सम्मान कर्नाटक की प्रसिद्ध लोक कलाकार पद्मश्री मंजम्मा जोगती को दिया जाएगा। इससे पहले पिछले तीन सालों यह सम्मान पद्मविभूषण तीजन बाई, शारदा सिन्हा व पद्मश्री गुलाबों सपेरा को उत्तर प्रदेश के मुख्यमत्री योगी आदित्य नाथ के हाथों से दिया जा चुुका है।
लोक गायिका मालिनी जी ने बताया कि दो दिन के बृह्द समारोह में मणिपुर का लोकनृत्य थांग ता और पुंग चोलम, गुजरात का सिद्धि धमाल, पंजाब का भागंड़ा, हरियाणा का लोेक नृत्य धमाल को प्रस्तुत किया जाएगा। इसकेे अलावा पद्मश्री से सम्मानित शशिधर आचार्य का छाऊ दल, उत्तर प्रदेश का ढेढया नृत्य और साथ ही आल्हा गायन का प्रस्तुतिकरण किया जाएगा। इसके अलावा वृंदावन से आए 75 स्कूली छात्र-छात्राएं सामूहिक रूप से आल्हा का गायन करेंगे।
पिछले साल संस्था सोन चिरैया के दस साल पूरे होने पर तीन दिवसीय लोक सांस्कृतिक उत्सव देशज का आयोजन किया गया था, जिसका उद्घाटन राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने किया था।
लोक सांस्कृतिक संस्था सोन चिरैया पिछले 11 सालों से प्रदेश की लोक संस्कृति को बढ़ाने का कार्य कर रही है। अवध, पूर्वी उत्तर प्रदेश, बनारस, बुंदेलखण्ड, ब्रज, सोनभद्र, थारू एव प्रदेश की जनजातिय लोक कलाओं को समाज के सामने लाने मदद कर रही है वहीं वंचित कलाकारों को मंच भी प्रदान कर रही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here