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राम शबरी मिलन, सुग्रीव बालि युद्ध व बालि वध लीला ने मंत्र मुग्ध किया 

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रामोत्सव-2023 सातवां दिन

लखनऊ, 21 अक्टूबर 2023। भारत की सबसे प्राचीनतम रामलीला समिति, श्रीराम लीला समिति ऐशबाग लखनऊ के तत्वावधान में रामलीला मैदान के तुलसी रंगमंच पर चल रही रामलीला के आज सातवें दिन राम शबरी मिलन, राम हनुमान मिलन, राम सुग्रीव मिलन, अगंद तारा संवाद, बालि तारा संवाद, सुग्रीव बालि युद्ध, बालि वध और तारा विलाप लीला हुई।

रामलीला के पूर्व आज मंजू सिंह के नृत्य निर्देशन में स्वरत्मिका इंस्टीटयूट ऑफ डांस एकेडमी और निशी मिश्रा के नृत्य निर्देशन में नृत्य धाम एकेडमी के कलाकारों ने भक्ति भावना से परिपूर्ण नृत्य की मन मनमोहक प्रस्तुतियां दीं।

ऐशबाग रामलीला में आज अतिथि के रूप में पंकज सिंह विधायक – प्रदेश महामंत्री भाजपा एवं ए.के. शर्मा नगर विकास मंत्री- ऊर्जा ने रामलीला का विधिवत उद्घाटन कर कहा कि राम का चरित्र और जीवन अनुकरणीय है, हम सभी को उनके चरित्र को अपने जीवन में उतारना चाहिए। इस अवसर पर श्री राम लीला समिति के अध्यक्ष हरीशचन्द अग्रवाल और सचिव पं. आदित्य द्विवेदी ने द्वय अतिथि पंकज सिंह विधायक – प्रदेश महामंत्री भाजपा एवं ए.के. शर्मा नगर विकास मंत्री- ऊर्जा को स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया।

आज की राम लीला का आरम्भ राम शबरी मिलन लीला से हुआ, इस प्रसंग में भगवान राम द्वारा कवध राक्षस का वध करके सीता की खोज में आगे बढते हैं तो रास्ते में एक विक्षिप्त सी महिला कुछ फलों को चखकर अलग रख रही थी तो कुछ को फेक रही थी, तभी उस मार्ग से राम और लक्ष्मण गुजरते हैं तो उन दोनों को देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ लग जाती है, सहसा उस महिला की निगाह राम पर पड़ती है और वह राम-राम कहकर तेजी से चिल्लाती है तभी राम की ओर वह दौड़ पड़ती है, राम जी उनको देखकर भावुक हो जाते हैं, तभी लक्ष्मण, राम से पूछते हैं कि यह कौन है राम बताते हैं कि यह शबरी है। शबरी तभी राम को चखकर बेर खिलाती है और लक्ष्मण को भी देती है, लेकिन लक्ष्मण झूठे बेर को लेकर फेंक देते हैं। फिर शबरी राम से पूरा वृतान्त सुनती है और उनको बताती है कि वह सुग्रीव की मदद लंे।

इस प्रसंग के बाद राम हनुमान मिलन लीला, राम सुग्रीव मिलन लीला हुई, इस प्रसंग में राम और लक्ष्मण सीता जी को ढूंढ़ते हुए ऋष्यमूक पर्वत के पास पहुंचते हैं जहां किष्किन्धा पर्वत की गुफा में सुग्रीव अपने मंत्रियों के साथ रहते हैं, सुग्रीव का बड़ा भाई बालि उसका सारा राजपाट छीनकर उसे अपने राज्य से बाहर कर देते हैं। सुग्रीव को कोई तकलीफ न हो इसलिए उनके विश्वासपात्र हनुमान जी एक मुनि का वेश धारण कर राम के पास पहुंचते हैं और उनसे सारी जानकारी लेकर उनको अपने कंधे पर बैठा कर सुग्रीव के पास ले जाते हैं, जहां पहुंचकर सुग्रीव और राम का मिलन होता है और राम से सुग्रीव सारी बातें बताते हैं और सुग्रीव राम जी को वचन देते हैं कि वह सीता जी को ढूंढने में पूरी शक्ति लगा देंगे और राम जी भी सुग्रीव से कहते हैं कि वह उनका राजपाट दिलाने में पूरी मदद करेंगे।

इसके बाद सुग्रीव बालि युद्ध और बालि वध लीला के साथ तारा विलाप लीला हुई, इस प्रसंग में सुग्रीव जब बालि से युद्ध करने के लिए जाते हैं तो बालि के बारे में कहा जाता है कि उससे जो भी युद्ध करता था उसकी आधी शक्ति बाली खिंच लेता था, जब सुग्रीव और बालि में युद्ध हो रहा था तो राम दोनों को पहचान पाने में खुद को असमर्थ पाते हैं इसलिए सुग्रीव गले में माला डाल लेते हैं और राम जी अचानक बालि का धोखे से बाण से मार देते हैं और तारा बालि के पास पहुंचकर विलाप करती है, यहीं पर रामलीला समाप्त होती है।

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