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राम राज्याभिषेक, दशरथ कैकेई संवाद, राम वन गमन लीला ने भाव विभोर किया

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लखनऊ, 28 सितम्बर 2022। भारत की सबसे प्राचीनतम रामलीला समिति, श्रीराम लीला समिति ऐशबाग लखनऊ के तत्वावधान में रामलीला ग्राउण्ड में चल रही रामलीला के आज तीसरे दिन राम बारात का अयोध्या प्रस्थान, राम राज्याभिषेक की घोषणा, दशरथ कैकेई संवाद, राम वन गमन और प्रजा विद्रोह लीला हुई।

आज की रामलीला के पूर्व श्रृंगारी नृत्य समूह के कलाकारों नित्या निगम, शेलेन्द्र सिंह, तमन्ना सिंह और अर्दिंम सिंह ने राघवेन्द्र प्रताप सिंह के निर्देशन में कृष्ण नटवरी नृत्य की मनोरम प्रस्तुति दी। राम लीला का शुभारम्भ राम बारात का अयोध्या प्रस्थान लीला से हुई। इस प्रसंग में भगवान राम जब सीता जी के संग अयोध्या में प्रवेश करते हैं तो पूरी अयोध्या दुल्हन के रूप मे सजी स्वागत में इंतजार करती हुई नजर आती है। मार्ग से महल तक पहुंचने में राम जी का स्वागत पुष्प वर्षा से किया जाता है और महल पहुंचने पर माता कौशल्या, सुमित्रा और कैकेई अपने सभी पुत्रों ओर बहुओं का स्वागत आरती उतार कर करती हैं।
मन को मोह लेने वाली इस लीला के पश्चात राम राज्याभिषेक घोषणा लीला हुई, इस प्रसंग में एक दिन राजा दशरथ एक दिन अपने कक्ष में बैठे अपने केशो को सुलझा रहे थे तब उन्होंने दर्पण में देखा कि उनके केश कुछ सफेद नजर आ रहें हैं। इसको देखकर वह निर्णय लेते हैं कि मैं अब बूढ़ा हो चला हूं इसलिए अपने बड़े पुत्र राम को राजगद्दी सौंप दी जाए। इस बात को लेकर वह अपने सहयोगी मंत्रियों से मंत्रणा करते है। इस बात की भनक पूरे महल में फैल जाती है।

इस लीला के उपरान्त मंथरा कैकेई लीला हुई, इस प्रसंग में कैकेई की दासी मंथरा कैकेई से बताती है कि महाराज दशरथ अपने बड़े पुत्र राम को राजगद्दी देना चाहते हैं और आपका पुत्र भरत, राम का दास बनकर रह जायेगा और फिर आपकी भी अवहेलना होगी। इस बात को सुनकर कैकेई बड़ा पश्चाताप करती हैं, तब मंथरा, कैकेई से राजा दशरथ से अपने मांगे वरदान की याद दिलाती है कि अब समय आ गया है कि आप अपने वरदान में भरत को राजगद्दी और राम को चैदह वर्ष का वनवास मांग लीजिए।
अगली लीला के क्रम में दशरथ कैकेई संवाद लीला हुई, इस प्रसंग में राजा दशरथ कोप भवन में जाकर कैकेई को समझाने का प्रयास करते हैं कि मैं जो कर रहा हूं वह ठीक है, इससे आपको कोई परेशानी नही होगी, पर कैकेई अपनी मांग पर अड़ी रहती हैं, मजबूर होकर वह कैकेई को, भरत को राजगद्दी और राम को चैदह वर्ष का वनवास देने का वचन देते हैं। इसी क्रम में कौशल्या राम संवाद लीला हुई, इस प्रसंग में राम, माता कौशल्या के पास वन जाने की आज्ञा मांगते हैं, वह आज्ञा तो नही देना चाहती थीं लेकिन उन्होंने अपने पति के वचनों पर गौर करके राम को आज्ञा देती हैं कि वह अपने पिता के वचनों का मान रखकर वनवास को जाएं।
हृदय को विहृवल कर देने वाली इस लीला के उपरान्त राम वन गमन लीला हुई, इस प्रसंग में राम, जब वन गमन के लिए प्रस्थान करने के लिए सीता जी से कहते हैं कि मैं वन गमन कर रहा हूं, आप सबका ध्यान रखिएगा, इस पर सीता जी, राम जी से कहती हैं कि जहां पति होगा वहीं पत्नी को भी होना चाहिए, पत्नी का स्थान पति के साथ है न कि राजमहल में, इसलिए मैं आपके साथ वन चलंूगी। यह देखकर लक्ष्मण भी राम से आग्रह करते हैं कि वह भी उनके साथ सेवा के लिए चलेंगे, उनके बिना वह महल में नही रहेंगे। राम के बहुूत समझाने पर वह नही मानते और वह भी राम और सीता के साथ वन गमन के लिए प्रस्थान करते हैं। यह देखकर राज्य की प्रजा बहुत दुखी होती है और वह भी उनके साथ चलने के लिए प्रार्थना करती है, लेकिन उनके मना करने पर कुछ दूर तक प्रजा साथ चलती है और यह देखकर भगवान राम सभी अयोध्यावासियों से कहते हैं कि आप लोग वापस जाइये, मैं 14 वर्षों के बाद पुनः अयोध्या वापस आऊंगा। इस प्रसंग के समापन पर लीला में बैठे दर्शक रोते हुए नजर आए। इस अवसर पर श्री राम लीला समिति ऐशबाग के अध्यक्ष हरीशचन्द्र अग्रवाल, श्री राम लीला समिति ऐशबाग के सचिव पं0 आदित्य द्विवेदी, प्रमोद अग्रवाल सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों के अलावा तमाम दर्शक उपस्थित थे।

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