Home न्यूज मौ.मुहम्मद राबे हसनी व्यक्ति नहीं सम्पूर्ण संस्था थेः मौ. सैफउल्लाह रहमानी

मौ.मुहम्मद राबे हसनी व्यक्ति नहीं सम्पूर्ण संस्था थेः मौ. सैफउल्लाह रहमानी

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अंजुमन इस्लाहुल मुस्लिमीन का मुमताज़ पीजी कालेज में राष्ट्रीय सम्मेलन
लखनऊ, 28 मई। अंजुमन इस्लाहुल मुस्लिमीन की ओर से मुमताज़ पीजी कालेज में ‘मौलाना सैयद मोहम्मद राबे हसनी नदवी हयात व खिदमात’ शीर्षित राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। अध्यक्षता कर रहे ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफउल्लाह रहमानी ने उन्हें एक व्यक्ति नहीं सम्पूर्ण संस्था बताया।
अंजुमन के सचिव अतहर नबी एडवोकेट के संचालन में हुये सम्मेलन का विषय प्रवर्तन उद्बोधन देते हुए इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने उन्हें मानवता, दीन और शिक्षा-साहित्य का रहनुमा बताया। इस सम्मेलन को नाजिम नवतुल उलामा मोहम्मद सैयद बिलाल अब्दुल हइ र्हसनी नदवी, नाजिरे आम नदव तुल उलामा, मौलाना सैयद जाफर मसूद हसनी नदवी, प्रो.अखतरुल वासे अध्यक्ष मौलाना आजाद विश्वविद्यालय जोधपुर, मौलाना अतीक अहमद बस्तवी, मौलाना मोहम्मद खालिद गाजीपुरी नदवी ने भी सम्बोधित किया।
दारुल उलूम फरंगी महल के शिक्षक कारी कमरुद्दीन की तिलावत से प्रारम्भ हुए सम्मेलन में बड़ी संख्या में उलमा, बुद्धजीवि, विभिन्न संस्थानों और संगठनों के पदाधिकारियों- कार्यकर्ताओं, मदरसे के अध्यापको ंऔर अवाम ने शिरकत करके मौलाना राबे हसनी से अपनी गहरी अकीदत व मोहब्बत का इजहार किया।
मौलाना खालिद सैफ उल्लाह रहमानी ने कहा कि मौलाना राबे हसनी नदवी का निधन पूरी उम्मत के लिए बड़ा नुकसान है। उनसे हर मसलक के लोगों को अकीदत और मोहब्बत थी। वह इस समय मुसलमानों के लिए सबसे बड़े लीडर थे। उनको अरब दुनिया में बहुत कद्र और एहतिराम की नजर से देखा जाता था। उनकी अध्यक्षता में ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने बहुत सोच-समझकर अहम् और कठिन समस्याओं का कामयाबी के साथ सामना किया और बोर्ड के कामों को उनकी रहनुमाई ने जारी रखा।
अपने सम्बोधन में मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि मौलाना राबे ने कई क्षेत्रों में इतिहास रचा और उन्होने 94 वर्ष की लम्बी आयु पायी। वह इस्लामी शरीअत पर अमल करने वाले थे। वह अरबी और उर्दू के बुलन्द सहाफी थे। मौलाना राबे हसनी और उलमा फरंगी महल का गहरा सम्बन्ध था, जिसका इजहार उन्हांने अपनी तहरीरों व तकरीरों में किया। वह चार बार ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष नियुक्त हुए।
प्रो.अखतुरुल वासे ने मौलाना राबे हसनी से अपनी विशेष अकीदत व मोहब्बत का इजहार किया। उन्हांने कहा कि मौलाना मरहूम अरबी के अदीब, अध्यापक थे। उनसे देश के तमाम मुसलमानों को बड़ी मदद मिलती थी। मुसलमानों के शरअई समस्याओं को सुलझाने से उनका गहरा लगाव था।
मौलाना सैयद बिलाल हसनी नदवी ने मौलाना राबे हसनी की विशेषता, जीवन और सेवाओं का विस्तार से वर्णन किया। उन्हांने कहा कि मौलाना मरहूम बड़े आलिमे दीन थे।उन्होंने अपने जीवन का अधिकतर समय पढ़ने-पढ़ाने में गुजारा।
मौलाना सैयद जाफर हसनी ने मौलाना मरहूम की शैक्षिक सेवाओं का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मौलाना मरहूम अदीब और अहले कलम थे। इसका सुबूत उनकी दर्जनों किताबें हैं।
मौलाना अतीक अहमद बस्तवी ने मौलाना मरहूम की फिकही नजर पर रौशनी डालते हुए कहा कि वह वर्तमान समय की समस्याओं के अवगत थे।
मौलाना खालिद गाजीपुरी ने कहा कि मौलाना मरहूम कुरान पाक, हदीस शरीफ और इस्लामी फिक्ह की बहुत जानकारी रखते थे।उनको अरबी जुबान व अदब पर कमाल हासिल था।
इससे पहले जलसे के आरम्भ में मौलाना सैयद मोहम्मद राबे हसनी नदवी ओल्ड ऐज होम और जफरयाब जीलानी नर्सिंग कालेज का शिलान्यास मौलाना खालिद सैफउल्लाह रहमानी के हाथों हुआ। जलसे में अंजुमन के सदस्य सैयद बिलाल नूरानी और पूर्व प्रधानाचार्य मुमताज़ कालेज डॉ.ए रहीम ने मौलाना राबे ओल्ड एज होम के लिये क्रमशः 2 लाख और 1 लाख रुपये देने का एलान किया।
इल्मो-अदब के चेहरे और चिराग हजरत मौलाना सैयद मुहम्मद राबे हसनी बहुत ही नर्मदिल, शांत स्वभाव के आलिमे दीन थे। वह मौलाना अबुल हसन अली मियां नदवी के भतीजे और शिष्य थे। उन्हें मौलाना अली मियां नदवी द्वारा प्रशिक्षित भी किया गया था, और मौलाना अली मियां के बाद, उन्हांने मौलाना के मिशन को आगे बढ़ाया। वह चुपचाप दीन और मिल्लत की सेवा करते रहे और अपना काम करते रहे। वह अरबी साहित्य के एक महान विद्वान और लेखक थे।
जलसे में प्रो.सैयद वसीम अख्तर चांसलर इंटिग्रल विश्वविद्यालय और प्रो.अब्बास अली मेंहदी वाइस चांसलर एरा विश्वविद्यालय ने भी मौलाना मरहूम को खिराजे अकीदत पेश किया। कान्फ्रेंस का अन्त अंजुमन के चौधरी शरफुद्दीन ने शुक्रिया अदा करके किया।

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