चुनाव संचालन नियम, 1961 नियम 49-ओ के तहत मतदाताओं के पास ऐसा अधिकार है कि वह मतदान केंद्र पर जाने के बाद भी वोट डालने से इनकार कर सकते हैं। लोकसभा चुनाव होने में अब कुछ ही दिन बचे हैं। ऐसे में चुनाव आयोग ने संकल्प लिया है कि वह लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए मतदान केंद्रों तक लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। लेकिन क्या आपको पता है कि आप मतदान केंद्र पर पहुंचने के बाद भी वोट डालने से मना कर सकते हैं? जी हां, आपने सही पढ़ा। हम नोटा की बात नहीं कर रहे हैं। यह अधिकार नोटा से अलग है। आप अगर मतदान केंद्र पहुंचने के बाद वोट नहीं डालना चाहते हैं तो आप मना कर सकते हैं।
यह है अधिकार
चुनाव संचालन नियम, 1961 नियम 49-ओ के तहत मतदाताओं के पास ऐसा अधिकार है कि वह मतदान केंद्र पर जाने के बाद भी वोट डालने से इनकार कर सकते हैं। नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का विकल्प मतदाताओं को जनादेश मांगने वाले किसी भी उम्मीदवार में विश्वास की कमी व्यक्त करने की अनुमति देता है। जबकि वोट देने से मना करने का विकल्प एक मतदाता को पूरी तरह से चुनाव प्रक्रिया से दूर रहने की अनुमति देता है।
ऐसे होगी आगे की प्रक्रिया
49-ओ नियम पीठासीन अधिकारी को निर्देश देती है कि एक बार जब कोई मतदाता अपने परिचय पत्र सत्यापित होने के बाद केंद्र के अंदर मतदान करने से इनकार कर दे, तो अधिकारी जबरदस्ती नहीं कर सकता है। बल्कि फॉर्म 17ए में इस बात का उल्लेख करेगा और मतदाता के हस्ताक्षर या अंगूठे का निशान लगवाएगा।
यह कोई नया नियम नहीं
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह अधिकार का कोई नया नियम नहीं है। यह काफी समय पहले से है। हालांकि इस विकल्प के बारे में किसी को ज्यादा जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी मतदाता का वोट डालने से इनकार करने का असर चुनाव या किसी उम्मीदवार पर नहीं पड़ेगा।
2019 में 1300 से ज्यादा लोगों ने चुना था यही विकल्प
इस विकल्प के बारे में मतदाताओं को जागरूक करने के बारे में जब आयोग से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है। चुनाव आयोग के अनुसार, साल 2019 में पूरे भारत में करीब 1,389 मतदाताओं ने मतदान केंद्र पर पहुंचने के बाद वोट नहीं डालने का फैसला लिया था।