स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर जी के निधन से भाजपा अपना चुनाव संकल्प पत्र जारी नहीं करेगी।
यह जानकारी प्रदेश कार्यालय पर गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने दी।
मुंबई। 92वर्षीय स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर का अस्पताल में फेफड़े में संक्रमण का उपचार के बाद निधन हो गया। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में चल रहा था इलाज 8 जनवरी से थी लता मंगेशकर भर्ती!
लता दीदी की कुछ अनमोल यादें
लता और नौशाद की भेंट कैसे हुई इसपर काफ़ी मतभेद हैं, मेरे मतानुसार इनकी मुलाक़ात मास्टर ग़ुलाम हैदर की मरहून ए मिन्नत है। अपने आरम्भिक दौर में लता की आवाज़ और गायकी नूरजहां से प्रेरित और प्रभावित थी और इसकी अपनी सीमायें थीं। एक बात क़ाबिल ए ग़ौर है कि लता की गायकी में शुरुआती दौर में ‘तान’ (coloratura) शैली विकसित नहीं हुई थी। रियाज़ और संगीतकारों की मेहनत के बावजूद इस शैली में वह नूरजहां का मुक़ाबला नहीं कर सकीं यहाँ तक कि आशा भी इस मामले में लता से बीस ही हैं।
लता के साथ दुश्वारी उनकी महाराष्ट्रियन लहजे को लेकर थी।1948-49, वह दौर है जिसमें सभी संगीतकारों ने लता पर मेहनत की , अनिल विश्वास ने गायन के दौरान साँस लेने की तकनीक से परिचित कराया तो नौशाद ने हिंदुस्तानी लहजे, शब्दों की समझ के अनुसार भावों को गायकी के माध्यम से व्यक्त करने की आवश्यकता पर बल दिया। बड़ा मशहूर वाक़िया है कि लता से जब उनकी पसंद का गाना गाने के लिये कहा गया तो लता ने सहगल का यह गीत गाया,
चाह बर्बाद करेगी हमें मालूम ना था,
रोते रोते भी कटेगी हमें मालूम ना था,,
जब इस गीत का अर्थ पूछा गया तो लता ने मासूमियत से कहा कि चाय बर्बाद कर देती है।
‘अन्दाज़’ में एक ग़ज़ल है ‘उठाये जा उनके सितम’ जिसे नौशाद ने लता को एक-एक शब्द के भावार्थ सहित बीस से तीस बार पढ़वाया ताकि गायन में वांछित असर पैदा हो सके। इसकी रिकॉर्डिंग के समय महबूब ख़ान, दिलीप कुमार, राज कपूर, सरदार अख़्तर आदि मौजूद थे कि एक मराठी लड़की उर्दू ग़ज़ल कैसे गाती है, और इस इम्तिहान में नौशाद और लता दोनों कामयाब हुए। यह ग़ज़ल लता के फ़िल्मी कैरीयर के लिये बहुत महत्वपूर्ण साबित हुई क्योंकि इसी से प्रभावित हो कर राज कपूर ने लता को सदैव के लिये आर॰ के॰ बैनर से जोड़ लिया।