श्रावण मास के अंतिम सोमवार जुटी भक्तो की भीड़
धीरेन्द्र श्रीवास्तव
नैमिषारण्य, सीतापुर। विश्वविख्यात धार्मिक नगरी तीर्थ में भगवान भोलेनाथ के कई प्राचीन मंदिर है जहां शिवरात्रि व सावन के समय बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है जिसको लेकर तीर्थ के शिवमंदिरों में तैयारियां शुरू हो गई हैं,नैमिष तीर्थ के प्रमुख शिवमंदिरों में से एक है नैमिष तीर्थ स्थित चक्र तीर्थ के पूरब दिशा की ओर विराजमान बाबा भूतेश्वर नाथ मंदिर जोकि आने वाले भक्तों के लिये आस्था और आकर्षण का केन्द्र बना रहता है यहाँ भोले नाथ तीन रूपों मे परिवर्तित होते हैं प्रात:काल बाल रूप मे, मध्याहनकाल रोषरूप मे ,सायंकाल दयालु अवस्था मे भक्तो को दर्शन देते यहाँ स्वयं भूतेशवर नाथ तीन रूपों मॆ दर्शन देकर भक्तों को प्रत्यक्ष रूप मे प्रमाण देते हैं इस पौराणिक स्थल के सम्बंध में मान्यता है कि ब्रम्हपुराण के अनुसार -कलियुग मे भूतेश्वर नाम से विख्यात भगवान शंकर की उपासना करने से द्वापर मे करोड़ों मनुष्यों को सिद्धि प्राप्त हुई इसी कारण उनके प्रभाव को देखते हुऐ ही नैमिषारण्य मे भूतेश्वर नाथ नाम से प्रसिद्ध है , प्राचीन काल मे एक बार ऐसा संयोग प्राप्त हुआ की विष्णु भक्त व शिव भक्त आपस मे झगड पड़े विवाद बढ़ जाने पर भगवान विष्णु व शिव को अपने भक्तों रक्षा हेतु सहायतार्थ आना पड़ा युद्ध की स्थिति आने पर भगवान शंकर ने स्वयं प्रदत्त चक्र को विष्णु से लेकर मुख मे रख लिया तब विवाद समाप्त हो गया , कालान्तर मे दैत्य तब प्रबल होकर देवताओं को सताने लगे देवताओं ने रक्षा हेतु भगवान विष्णु से प्रार्थना की तब श्री विष्णु ने कहाँ भगवान शंकर को प्रसन्न कर चक्र प्राप्त करो देवतागण नैमिषारण्य आकर भगवान शंकर की हेतु तपस्या की भगवान शंकर श्री भूतनाथ स्वरूप प्रकट होकर स्वयं मुख से चक्र को निकालकर एवं अनेक तीर्थों के जल से आच्छादित कर भगवान विष्णु ने निमिष मात्र मे दैत्यों का वध कर दिया , श्री चक्रतीर्थ पर प्रकट विग्रह भूतनाथ के नाम से पूजे जाते है प्रधानपुजारी राजनारायण पाण्डेय ने बताया भगवान भूतेश्वर महादेव के भक्तों को तीन स्वरूपों के दर्शन प्राप्त होते हैं यहाँ जल चढ़ाने मात्र से भक्तो के कष्ट दूर हो जाते हैं