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फिल्म कफन का विशेष प्रदर्शन हुआ।

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लखनऊ 16 अप्रैल। कनेक्शन वर्ल्ड वाईड फ़ेसबुक पेज के सदस्यो के लिए मुन्शी प्रेमचंद की कहानी कफन पर बनी फिल्म का विशेष प्रदर्शन डाक्टर सुभाष चंद्रा के संयोजन मे गोमतीनगर स्थित द रायल ग्रुप के सभागार मे हुआ। इस अवसर पर फेसबुक पेज के एडमिन राजीव सक्सेना, ध्रुव खरे, अवधी कार्यक्रम परपंचु की विनीता मिश्रा, वुलौववा की भक्ति शुक्ला, आकाशवाणी रायबरेली से सुमोना पांडेय संजय पांडेय,
ज्योति किरण रतन मिडिया प्रभारी , रवि प्रकाश सिंह विनोद कुमार श्रीवास्तव , डाक्टर सर्वेश त्रिपाठी ,नीलम सिंह ,इंदु सारस्वत ,शालिनी श्रीवास्तव, प्रकाश कुल्फी की सर्वेसर्वा
अविनाश अरोड़ा , एस आर सारस्वत, अनीता मिश्रा , कुसुम खरे ,शशि किरण ,सुषमा प्रकाश, आदित्य प्रकाश , फोटोग्राफर योगेश आदित्य, गजेंद्र त्रिपाठी, रेवांत पत्रिका की डॉ. अनीता श्रीवास्तव
जयंती मिश्रा , डॉ. डीके श्रीवास्तव ,ऋचा श्रीवास्तव, प्रदीप कुमार शर्मा आदि सहित लखनऊ के चुने हुए कलाकार और कला प्रेमियो ने फिल्म की स्क्रीनिंग का आनन्द लिया । रचनाशाला बैनर के अंतर्गत बनी फिल्म कफन का प्रस्तुतीकरण प्रदर्शन और दृश्य कला पहल ट्रस्ट लखनऊ के सहयोग से किया जा रहा है । फिल्म विशेष इसलिए भी दिल तक पहुँचती है क्योकि इसमे लखनऊ के गुणी सधे हुए कलाकार
राजा अवस्थी, अंबरीश बॉबी, आकांक्षा अवस्थी, निशु सिंह, कृष्णा यादव जैसे लोग अवधी संवादो से अवधी भाषा को मान बढाते दिखते है । प्रारम्भ से अंत तक कफन कहानी को जिस निर्गुण गीत “ठगनी क्यो नैना छमकावे” के
संगीत निर्देशक अश्विनी मक्खन और गायक
सिकंदर यादव भी लखनऊ के ही कलाकार है । निर्माता निर्देशक नरेंद्र सिंह ने बताया की कहानी की लोकेशन तलाशने समय लगा ।इसलिए महाराज गंज तराई, नेपाल बॉर्डर पर फिल्माया गयी फिल्म अपने समय को छूती है
छायाकार राकेश सिंह ने जिस तरह से कैमरे का प्रयोग दिन और रात की रोशनी के साथ किया है वह फिल्म की सार्थकता सिद्ध करता है । फिल्म निर्माता-निर्देशक नरेंद्र सिंह
अब तक कहानी ‘गोपाल जी रेडियो वाले’ लगभग 50 कड़ियों की संगीतमय वेब-श्रृंखला के लिए।, टेलीफिल्म ‘अब कहां जाएं हम’ की कहानी और पटकथा ‘दिल भी टेढ़ा हम भी टेढे’ की कहानी और पटकथा जो कि एक कॉमेडी फिल्म है। इस फिल्म का प्री-प्रोडक्शन का काम पूरा कर चुके है ।
हिंदी सिनेमा के विश्वकोश का “म्यूजिकल डेट विद ए डिकेड (1981-90)” शीर्षक से एक संकलन निकाला है, जिसका अनावरण 27 दिसंबर 2014 को इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर, नई दिल्ली में किया गया था। यह एक गीत कोष है जिसमें उस दशक के दौरान रिलीज़ हुई फिल्मों के बारे में सारी जानकारी है
नई दिल्ली में 18 मार्च 2015 को सखा पुरस्कार।
किशोर कुमार पुरस्कार 12 अक्टूबर 2019 को नई दिल्ली में। फिल्म ‘गुल्ली-डंडा’ के लिए लखनऊ साहित्य महोत्सव पुरस्कार 2019 से सम्मानित किये जा चुके है ।

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