लखनऊ 2 फरवरी। आधुनिक अवधी की गौरवशाली परम्परा में लक्ष्मण प्रसाद मित्र का नाम अग्रगण्य है। वे मूलतः ग्राम्य संस्कृति और श्रम संस्कृति के गायक हैं। गाँधीवादी परम्परा के पोषक मित्र जी ने अपने साहित्य में गाँधीवादी विचारधारा को प्रमुख स्थान दिया। ये विचार अध्यक्षता करते हुए विजय प्रसाद त्रिपाठी अध्यक्ष, अवध प्रान्त, अखिल भारतीय साहित्य परिषद, ने प्रेसक्लब लखनऊ में आयोजित मित्र स्मृति अवधी सम्मान 2023 के अवसर पर व्यक्त किए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ सुधाकर अदीब पूर्व अध्यक्ष उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ ने मित्र के नाटकों की चर्चा करते हुए कहा कि मित्र जी ने अवधी और खड़ी बोली में 15 नाटक और एकांकी लिखे हैं। इन नाटकों में समकालीन समाज की विसंगतियों को बहुत सलीके से दर्शाया गया है।
इस वर्ष का मित्र स्मृति अवधी सम्मान 2023 आजादी से पूर्व के वरिष्ठ अवधी साहित्यकार, पूर्व विधायक बंशीधर शुक्ल के पुत्र सिद्धहस्त साहित्यकार पं. सत्यधर शुक्ल, खीरी को प्रदान किया गया। जिसके अंतर्गत 11 हजार रुपये की धनराशि, स्मृतिचिन्ह और अंगवस्त्र प्रदान किया गया।
अवधी अध्ययन केन्द्र उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष प्रदीप सारंग के संचालन में सम्पन्न कार्यक्रम में मित्र जी की बेटी मनोरमा साहू ने मित्र जी के अनेक संस्मरण सुनाए तो उपस्थिति समूह भावुक हो उठा। डॉ राम बहादुर मिश्र अध्यक्ष अवध भारती संस्थान ने मित्र जी पर दिए जाने वाले पुरस्कार के बारे में बताते हुए समागत साहित्यकारों का स्वागत किया। डॉ संत लाल विश्वकर्मा ने अवधी लोक जीवन का कुशल चितेरा बताते प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि साहित्यिक संस्था परिकल्पना के संस्थापक रवीन्द्र प्रभात, साहित्य समीक्षक डॉ आराध्य शुक्ल, एस गोपाल, कुमार तरल, विष्णु कुमार शर्मा कुमार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। अंत मे संस्थाध्यक्ष अजय साहू ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में लखनऊ, सीतापुर, खीरी, बाराबंकी, रायबरेली, सुल्तानपुर सहित अनेक जनपदों से प्रो. अर्जुन पाण्डेय, राकेश गुप्ता, अशोक साहू, धर्मेन्द्र गुप्ता, निहारिका साहू, विद्या साहू, प्रीति साहू, लोक संस्कृति शोध संस्थान की सचिव सुधा द्विवेदी, जितेंद्र मिश्र टीटू, अवध भारती संस्थान के उपाध्यक्ष पप्पू अवस्थी, विष्णु कुमार शर्मा फ़िल्म लेखक निर्देशक अजय द्विवेदी आदि साहित्यकार व परिजन उपस्थित रहे।