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नौटंकी शैली के नाटक ‘मायाराम की माया’ ने दर्शकों को हंसा कर लोटपोट किया

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लखनऊ, 23 अगस्त 2023। रंगमंच के क्षेत्र में अग्रणी नाट्य संस्था आकांक्षा थियेटर आर्ट्स द्वारा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय संस्कृति विभाग नई दिल्ली के रिपेटरी ग्रान्ट वर्ष 2023-24 के अंतर्गत 60 दिन की सघन कार्यशाला में तैयार प्रथम प्रस्तुति के रूप में आज शाम वाल्मिकी रंगशाला गोमती नगर में जे. पी. सिंह ‘‘जयवर्धन’’ द्वारा लिखित एवं प्रभात कुमार बोस द्वारा निर्देशित नाटक ‘मायाराम की माया’ का मंचन किया गया। इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि रंगकर्मी व सिने अभिनेता डाॅ. अनिल रस्तोगी और विशिष्ट अतिथि पुनीत अस्थाना ने दीप प्रज्जवलित कर किया।

लोक कथा पर आधारित नौटंकी शैली के नाटक ‘‘मायाराम की माया’’ ने जहां दर्शकों को हंसाकर लोट-पोट किया वहीं दूसरी ओर मनुष्य के बदलते स्वरूप, स्वार्थ के लिए रिश्तों को दरकिनार कर स्वयं को ईश्वर मान बैठना जैसे अन्य मानव के विकारों को रेखांकित किया।

नौटंकी शैली के नाटक ‘माया राम की माया’ की कथानुसार ब्रह्मलोक में मानव के विभिन्न स्वरूपों की चर्चा होती है जिसको प्रमाणित करने के लिए पृथ्वीलोक से ‘‘मायाराम’’ नाम के व्यक्ति को ब्रह्मलोक में लाया जाता है। मायाराम-मीरपुर गाँव का एक चंट व्यक्ति है, जिससे पूरा गाँव त्रस्त है। कोई ऐसा सगा नहीं, जिसको मायाराम ने ठगा नहीं। उसने अपने संपूर्ण जीवन में मात्र एक पुण्य का काम किया है, वो है गोदान। गोदान का विधि-विधान पूर्ण होते ही वहीं उसी स्थान पर गाय स्वर्ग सिधार गई थी। इस एक पुण्य के बल पर मायाराम जीते-जी स्वर्ग पहुँच जाता है, एक दिन के लिए। एक दिन के बाद मायाराम को नरक भेजा जाना था। इस बात का पता चलते ही चंट मायाराम एक षड्यंत्र रचता है।

अपनी अंतिम इच्छा के रूप में गोदान की गई गाय को बुलाने का आग्रह करता है। वह गाय के कान में कुछ कहता है, गाय अपने पूर्व मालिक की बात मानकर ब्रह्मा जी के पेट में सींग अड़ाकर खड़ी हो जाती है। ब्रह्मा जी की जान के लाले पड़ जाते हैं। मायाराम अपनी शर्त रखता है कि उसे नरक में न भेजकर स्वर्ग में हीं रखा जाए। उसको स्वर्ग में ही रख लिया जाता है।

क्रोध में पहले तो ब्रह्मा जी मनुष्य का अंत करना चाहते हैं, फिर नारद मुनि के अनुनय-विनय पर सृष्टि को पूर्ववत् चलने के लिए छोड़ देते हैं लेकिन निर्णय करते हैं कि अब भविष्य में जब भी मानव को बनाएँगे, उसमें मानवता थोड़ा अधिक डालेंगे। नाटक को रोचक बनाने के लिए कुछ चरित्रों को रोचक बनाया गया।नाटक में कबीर की तीन रचनाओं का समावेश किया गया, जो नाटक को दर्शन से जोड़ता है।

सशक्त कथानक से परिपूर्ण नाटक ‘ माया राम की माया ‘ में अशोक लाल, आनन्द प्रकाश शर्मा, मोहित यादव, विजय मिश्रा, अश्वनी मक्खन, अनुपम बिसारिया, शेखर पाण्डेय, भेवन्त कुमार अग्रवाल, तथा अभ्युदय तिवारी, कोमल प्रजापति, सचिन सिंह चौहान,  कर्मेन्द्र सिंह गौर, अमर सिंह, शिवम कुमार पाण्डेय, आशुतोष, अखिलेश सिंह एवं प्रणव श्रीवास्तव ने अपने दमदार अभिनय से रंगप्रेमी दर्शकों को देर तक अपने आकर्षण के जाल में बांधे रखा।

नाट्य नेपथ्य में सेट- सचिन सिंह चौहान, कर्मेन्द्र सिंह गौर, अरूण कुमार, प्रकाश – सुब्रोतो बोस, संगीत वाद्ययंत्र – सुनील विश्वकर्मा, नक्कारा – परमानन्द उपाध्याय, हरमोनियम – वाईएन शर्मा, गायन – शेखर पाण्डेय, संगीत निर्देशन -विजय मिश्रा व शेखर पाण्डेय, रूप सज्जा – विश्वास वैश्य, पूजा श्रीवास्तव, दीपिका बोस, वस्त्र विन्यास अर्चना सिंह, सपना सिंह, कार्यशाला निर्देशन अशोक लाल नाट्य गुरू, श्रद्घा बोस, मंच प्रस्तुतिकरण अचला बोस तथा मुख्य सहायक निर्देशन अश्वनी मक्खन एवं अनुपम बिसारिया ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

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