– भारतीय नववर्ष मेला एवं चैती महोत्सव- 2024
लखनऊ , 9 अप्रैल 2024। तुलसी शोध संस्थान उत्तर प्रदेश अन्तर्गत श्री राम लीला समिति ऐशबाग के तत्वावधान में आज से श्री रामलीला परिसर ऐशबाग, लखनऊ में आरम्भ हुए भारतीय नववर्ष मेला एवं चैती महोत्सव-2024 में नृत्य व नाट्य माध्यम से मंच पर अवतरित हुईं भगवती देवी दुर्गा।
इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ. दिनेश शर्मा राज्य सभा सांसद ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर पं. आदित्य द्विवेदी, हरीश चन्द्र अग्रवाल और प्रमोद अग्रवाल ने मुख्य अतिथि डॉ दिनेश शर्मा को पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
भारतीय नववर्ष मेला एवं चैती महोत्सव का शुभारंभ नवयुग कन्या महा-विद्यालय की छात्राओं ने भक्ति – भावना से ओत-प्रोत प्रस्तुतियों से किया। वर्तिका ने महोत्सव का श्री गणेश, विघ्न विनाशक भगवान गणेश जी के चरणों में समर्पित नृत्य से कर दर्शको को मंत्र मुग्ध कर दिया।
गणेश जी के चरणों में समर्पित इस प्रस्तुति के उपरान्त यशप्रिया और श्रेया ने मेरे घर राम आए और जान्हवी व ग्रुप ने आज बिरज में होरी रे रसिया पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया। इसी क्रम में श्री अग्रवाल ने अपने एकल नृत्य में मंच पर भगवती देवी दुर्गा को अवतरित कर दर्शकों को भाव विभोर कर दिया।
मन को मोह लेने वाली इस प्रस्तुति के बाद हार्ट एण्ड सोल डांस अकादमी के कलाकारों आन्या, खुशी, व्याख्या, मिष्ठी, मृन्या, लक्ष्मी, गायत्री, अर्चना, हरगुन, ज्योति, कोमल, अरूण और शिवम ने शैलेन्द्र सिंह और वैष्णवी मिश्रा के नृत्य निर्देशन में मेरी चौखट पे पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर लोगों को भगवान श्री राम की भक्ति का रसापान कराया। हृदय को हर्षातिरेक से भर देने वाली इस प्रस्तुति के उपरान्त रीना श्रीवास्तव के नृत्य निर्देशन में नृत्या डांस अकादमी के कलाकारों ने देवी स्तुति पर भावपूर्ण अभिनय युक्त नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को भावविभोर किया।
कार्यक्रम के आकर्षण का केंद्र बिन्दु रहा भास्कर बोस के निर्देशन में मंचित नाटक मां मंशा देवी। नाट्य सारानुसार भगवान शिव की मानस पुत्री मंशा को हमेशा से यही पीड़ा रही थी की, उनको देवी का दर्जा और उनकी पूजा नही होती। इस बात को लेकर वह शिव जी के पास जाती हैं और उनसे यह प्रश्न करती हैं, तब शिव जी कहते हैं कि मृत्यु लोक में जब तुम्हारी पूजा होगी, तब तुम्हें देवी का दर्जा मिलेगा। इस बात को सुनकर मंशा तमाम प्रयास करती हैं और आखिर में उन्हें देवी का दर्जा मिलता है और उनकी पूजा आरम्भ हो जाती है।