Home न्यूज नृत्य प्रस्तुतियों में अवतरित हुईं भगवती देवी दुर्गा

नृत्य प्रस्तुतियों में अवतरित हुईं भगवती देवी दुर्गा

102
0

भारतीय नववर्ष मेला एवं चैती महोत्सव-2023 

लखनऊ , 22 मार्च 2023। तुलसी शोध संस्थान उ.प्र. के तत्वावधान में आज से श्री रामलीला परिसर ऐशबाग में आरम्भ हुए भारतीय नववर्ष मेला एवं चैती महोत्सव-2023 में नृत्य प्रस्तुतियों में भगवती देवी दुर्गा अवतरित हुईं।

भारतीय नववर्ष मेला एवं चैती महोत्सव-2023 का उद्घाटन संस्था के सचिव पं आदित्य द्विवेदी, हरीश चन्द्र अग्रवाल और प्रमोद अग्रवाल ने दीप प्रज्जवलित कर किया। पं आदित्य द्विवेदी ने भारतीय नववर्ष पर प्रकाश डाला। इसके पूर्व सुनील कुमार मिश्रा, अनिल कुमार मिश्र, विनोद शुक्ला, ललित तिवारी और दिनेश वर्मा ने सुंदरकांड का पाठ कर वातावरण को भक्तिमय किया।

भक्ति संगीत से सजे कार्यक्रम का शुभारम्भ विहान, रौनक और आराध्य ने देवा श्री गणेशाय देवा पर भावपूर्ण नृत्य से कर विघ्न विनाशक भगवान गणेश जी के चरणों में अपनी अगाध श्रद्धा अर्पित की।

गणेश जी के चरणों में समर्पित इस प्रस्तुति के उपरान्त वैष्णवी, अंकिता, स्वरा, ओजस्वी, सपना और आरोही ने घर मोरे परदेशीया, अद्विका, यशी, आर्या, नव्या और आराध्या ने गणपति बप्पा मोरया पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया।

मन को मोह लेने वाली इस प्रस्तुति के बाद नैतिका, जैतिका, यख्या और अदिती ने आई गिरि नन्दिनी पर भावपूर्ण अभिनय युक्त नृत्य प्रस्तुत कर मंच पर भगवती देवी दुर्गा के अवतरण का दृश्य सृजित कर दर्शकों को दुर्गा जी की भक्ति के सागर में आकन्ठ डुबोया।

इसी क्रम में अंकीत, अभय, अजीत, मयंक और कृष्णा ने राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा पर मनोरम नृत्य प्रस्तुति दी। अंकीत और अभय ने शिव तांडव स्त्रोत पर युगल नृत्य द्वारा भगवान शिव शंकर के शान्त व रौद्र रूप के दर्शन दर्शकों को कराए।

शिव जी की भक्ति से ओत प्रोत इस प्रस्तुति के उपरान्त आराध्या, रौनक और सौव्या ने नमो नमो पर नृत्य प्रस्तुत किया। इसके अलावा वर्णिका श्रीवास्तव के निर्देशन में स्वरधारा म्यूज़िक एण्ड डान्स एकेडमी और अलका पांडेय एवं मोनालिसा के निर्देशन में  ए डी डांस एण्ड म्यूज़िक क्लासेज के कलाकारों ने दुर्गा स्तुति पर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शको को भगवती देवी दुर्गा के नवों रुपों के दर्शन करवाए।

हृदय को हर्षातिरेक से भर देने वाली इस प्रस्तुति के उपरांत भास्कर बोस के निर्देशन में सत्यवान सावित्री नाटक का मंचन किया गया।

पति की दीर्घायु की कामना और भारतीय परम्परा व संस्कृति को रेखांकित करते नाटक सत्यवान सावित्री की कथानुसार राजा इन्द्रधनु की कोई संतान नही थी, जिसके लिए उन्होने गायत्री जी की पूजा व व्रत किया। माता गायत्री की कृपा से उनके यहां एक पुत्री का जन्म हुआ, जिसका नाम सावित्री पड़ा, पुत्री रूपवती होने के साथ गुणवान भी थी, परंतु उसके लिए कोई योग्य वर नही मिल रहा था। इस बात को जानकर राजा ने सावित्री से कहा कि आप अपने लिए स्वयं वर ढूंढ़ लो, जिसके उपरान्त वह पूरा भारत भ्रमण करती है, आखिर में उसे सत्यवान नाम का एक वर मिलता है, दोनो का विवाह होने के बाद सावित्री को पता चलता है कि उसके पति की आयु एक वर्ष शेष है, जिसके लिए गायत्री मां और वट की पूजा करती है, कुछ दिन के उपरान्त सत्यवान की सर्पदंश से मृत्यु हो जाती है, उसके पति के प्राणों को लेने यमराज आते हैं, वह उनके पीछे-पीछे जाती है और सौ पुत्रों की मां बनने का वरदान प्राप्त करती है और विवश हो कर यमराज को सत्यवान के प्राण वापस करने पड़ते है, यहीं पर नाटक का समापन हो जाता है।

नाटक सत्यवान सावित्री में भाग लेने वाले कलाकार थे शंकर पाल, सैमुल, संजीत मंडल, प्रिंस, अपर्णा, प्रिया पांडेय व अन्य।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here