धीरेन्द्र श्रीवास्तव ब्यूरो चीफ सीतापुर
नैमिषारण्य, सीतापुर । विश्वविख्यात तीर्थनगरी नैमिषारण्य में बहुत ही प्राचीन काल के मंदिर देवताओं द्वारा स्थापित किये गये थे जिनका एक अलग ही महत्व है उन्हीं में से एक पौराणिक स्थान नैमिष से लगभग तीन किलोमीटर दूर सीतापुर-हरदोई राजकीय राजमार्ग पर स्थित है वैसे तो भगवान शंकर का दिन सोमवार माना जाता है लेकिन आध्यात्मिक दृष्टिकोण से श्रावण मास भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय है जिसमें प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग बाबा देवदेवेश्वर महादेव के दर्शन के लिए आते हैं यह मंदिर सीतापुर-हरदोई सीमा पर स्थित है जिस कारण हरदोई जिले से भी प्रतिदिन सैंकड़ों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं यहाँ की मान्यता है कि आदिगंगा गोमती में स्नान कर बाबा के दर्शन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है
मंदिर के संचालक विजय सैनी ने इसके महत्व के विषय में बताया कि देवदेवेश्वर शिवलिंग को वायु देवता ने स्थापित किया था देवताओं के राजा इंद्र ने वृत्तासुर राक्षस द्वारा देवताओं पर किये जा रहे अत्याचारों से परेशान होकर भगवान वायुदेव द्वारा निर्मित देवदेवेश्वर महादेव की आराधना कर उनकी प्रार्थना की और कहा कि प्रभु इस अत्याचारी राक्षस का संहार कैसे हो तब देवदेवेश्वर महादेव ने प्रकट होकर देवराज इंद्र को यह बतलाया कि मिश्रिख में महर्षि दधीचि जी विराजमान हैं उनकी अस्थियों से जो वज्र निर्मित होगा उसी से इस अत्याचारी राक्षस का वध होगा ।
ऐसी मान्यता है कि मुगल शासक बाबर यहां आया जिसने शिवलिंग पर प्रहार किया उसके प्रहार करते ही शिवलिंग से मधुमक्खियों का झुंड निकला और उस झुंड ने बाबर और उसके सैनिकों पर हमला बोल दिया जिस कारण उसे वहां से भागना पड़ा ।