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दर्शकों को हंसा कर लोटपोट कर गया नाटक ‘ बुरे फंसे गुलफाम ‘

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त्रि दिवसीय आकांक्षा नाट्य समारोह प्रथम संध्या 

लखनऊ, 28 मार्च 2024। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, संस्कृति विभाग नई दिल्ली के सहयोग से आकांक्षा थियेटर आर्टस के तत्वावधान में आज से सन्त गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी गोमती नगर लखनऊ में आरम्भ हुए त्रि-दिवसीय आकांक्षा नाट्य समारोह-2024 की प्रथम संध्या में आज भारतीयम् बाल युवा विकास एवं शोध संस्थान की प्रस्तुति के अन्तर्गत कार्लो गोल्डोनी के मूल नाटक का पुनीत अस्थाना के रूपांतरण एवं निर्देशन में नाटक ‘ बुरे फंसे गुलफाम ‘ का मंचन किया गया।

इसके पूर्व त्रि-दिवसीय आकांक्षा नाट्य समारोह का उदघाटन मुख्य अतिथि प्रसिद्ध रंगकर्मी एवं सिने अभिनेता डाॅ. अनिल रस्तोगी ने दीप प्रज्जवलित कर किया। रंगपुरोधा स्व. पद्मश्री राजबिसारिया को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित मंचित नाटक ‘ बुरे फंसे गुलफाम ‘ वस्तुतः हास्य – परिहास्य की चाशनी से परिपूर्ण होने के साथ नवाबी दौर की याद को ताजा करवाते हुए दर्शकों को हंसा कर लोटपोट कर गया।

नाट्य सारानुसार नाटक का घटना स्थल 19वीं सदी के शुरूआती दौर का लखनऊ है। नवाब बग़लौल साहब लखनऊ के एक जाने माने व्यापारी हैं जिनके व्यापारिक संबंध हैदराबाद के एक व्यापारी जनाब जावेद साहब से भी हैं। दोनो ने एक दूसरे को देखा नहीं है पर ख़तोकिताब के जरिये वे इतने करीब आ जातें हैं कि नवाब साहब अपनी बेटी गुलनार की शादी जावेद मियां के साथ पक्की कर देते हैं। इस बीच उन्हें ख़बर मिलती है कि जावेद की मौत उनकी बहन शबनम के प्रेमी, आरिफ मियां के हाथों एक कहासुनी के दौरान हो जाती है। ऐसी हालत में जनाब बगलौल साहब अपनी बेटी गुलनार का रिश्ता अपने दोस्त डॉ  बुखारा के लड़के लाड़ले मियां से पक्का कर देते है। उनकी सगाई की रस्म चल ही रही होती है कि तभी जावेद मियां भी वहीं पहुंच जाते हैं, जिन्हें जिन्दा देख कर सभी हैरान और परेशान हो जातें हैं। जावेद मियां के वेश में वास्तव मे वह शख्स, जावेद की बहन शबनम होती है जो मर्दाना लिबास में अपने प्रेमी आरिफ को ढूंढते हुए लखनऊ आ पहुंचती है। शबनम और आरिफ अन्जाने में एक ही सराय में ठहरते हैं, जहां एक नौकर गुलफाम दोनों की गुलाज़मत हासिल कर लेता है और खि़दमत करने की कोशिश में वह एक चक्करघिन्नी बन जाता है और ख़ामियाजा दोनों आकाओं को भुगतान पड़ता है, जहां कई परिस्थितिजन्य हास्य की स्थितियां उत्पन्न होती हैं जो दर्शकों को हंसाने में कामयाब होती हैं।

सशक्त कथानक से परिपूर्ण नाटक ‘ बुरे फंसे गुल्फाम ‘ में केशव पंडित, अशोक सिन्हा, तुषार बाजपेयी, सोमेन्द्र प्रताप सिंह, जागृति शुक्ला, अभिषेक सिंह, राजीव रंजन सिंह, भव्या द्विवेदी भावना, आकांक्षा अवस्थी, शशांक तिवारी और तनय विवेक पान्डेय ने अपने दमदार अभिनय से रंगप्रेमी दर्शकों को देर तक अपने आकर्षण के जाल में बांधे रखा। नाट्य नेपथ्य में सेट – जामिया शकील, प्रकाश – मोहम्मद हफीज, संगीत- रत्नांगी पण्डित, रूपसज्जा – विश्वास वैश्य का योगदान नाटक को सफल बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ।

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