लखनऊ 17 जनवरी । कालका – बिन्दाकी महाराज ड्योढ़ी से पद्म विभूषण पं बिरजू महाराज की प्रथम पुण्यतिथी पर शिष्यो ने कथक की पुष्पांजलि अर्पित की। ज्ञातव्य हो की एक वर्ष पूर्व पद्म विभूषण पं बिरजू महाराज लम्बी बिमारी के बाद सत्रह जनवरी को मृत्युलोक से विमुख हो गये थे । नारायण जन सेवा संस्थान के द्वारा महाराज जी के जन्मस्थान जो कथक ड्योढी के नाम से जानी जाती है उस स्थान पर श्रद्धाजलि सभा एवं कथक के कार्यक्रम का आयोजन किया गया । संस्था के अध्यक्ष हिमांशु श्रीवास्तव ने दिल्ली मे ही रहकर गुरु शिष्य परम्परा के अन्तर्गत पं० विरजू महाराज जी से उनके घर पर कथक नृत्य की शिक्षा प्राप्त कि है । हिमांशु बताते है जब महाराज जी के पास वह जाते थे तो महाराज जी आने-जाने का किराया देने के साथ एवं अपने घर में अपने बेटे के समकक्ष स्नेह भी करते थे। महाराज जी की अतिंम इच्छा थी कि ड्योडी में कथक नृत्य पहले की भांति होता रहे महफिले सजती रहे। महाराज जी अस्थियां मां गोमती के बाद गंगा जी में प्रवाहित की गई थी। महाराज जी ने अनेक फिल्मों में अपना कथक नृत्य का निर्देशन दिया था जैसे- मोहे रंग दो लाल दीपिका पादूकोण एवं माधुरी दीक्षित को ढ़ाई श्याम रोक दी अन्य गानो में ठुमरी एवं कथक नृत्य की कोरियोग्राफी करके कथक को एक विशेष ऊंचाई तक पहुंचाया | महाराज जी की अतिंम इच्छानुसार लखनऊ घराने के परम्परागत कथक को हिमांशु श्रीवास्तव द्वारा कार्यशालाओ के कार्य किया जा रहा है। जल्द ही दिल्ली से लखनऊ रहने आये पं राम मोहन महाराज जी ने आज ड्योढी पर आकर श्रृद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा की वह अपने स्वर्गीय बडे भाई पद्म विभूषण पं बिरजू महाराज की ईच्छा के चलते यहां हफ्ते मे तीन चार दिन कथक की कक्षाये प्रारम्भ करेगे । समय समय पर मासिक कार्यक्रम आयोजित होगे । इसके लिए मुख्यमंत्री योगी जी से समय मिला है बात करने के लिए। श्रृद्धांजलि सभा मे कल्चरल कवेसट की अध्यक्ष सुरभि सिंह अपने शिष्यो के साथ उपस्थित थी । इसके विकास मिश्र, अतिरिक्त ईशा रतन, मिशा रतन ने टुकडे ,तिहाई किया ,.राघवेन्द्र, हिमांशु मिश्र, पंडित राममोहन महाराज ने ठुमरी भाव किया।
साथ ही रुचि खरे मीरा दीक्षित, गुड्डी श्रीवास्तव, सुरभि सिंह ने भाव नृृय प्रस्तुत किया ,आकांक्षा श्रीवास्तव ने महाराज जी आवकी अपने यादे लोगो से बतायी।ज्योति किरन रतन ने महाराज जी के घर और उनसे मिलने की बातो को बताया ।