Home न्यूज क्षत्रिय महासमिति ने मनाई क्षत्रिय सम्राट महाराज अग्रसेन की जयंती

क्षत्रिय महासमिति ने मनाई क्षत्रिय सम्राट महाराज अग्रसेन की जयंती

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राम के वंशज थे महाराज अग्रसेन– बाबा हरदेव सिंह

शिक्षा ,विद्वता और स्किल
से ही क्षत्रिय समाज आगे बढ़ेगा–प्रो बलराज चौहान

लखनऊ । 15 अक्टूबर, 2023। उ.प्र. क्षत्रिय लोक सेवक परिवार महासमिति द्वारा “अर्थ–साम्राज्य-युग के प्रणेता इक्ष्वाकुवंशीय क्षत्रिय सम्राट महाराज अग्रसेन की जयन्ती’ एस.के.डी. एकेडमी, विक्रान्त खण्ड, गोमती नगर, लखनऊ में महाराज अग्रसेन के चित्र पर माल्यापर्ण कर धूमधाम से मनायी गयी।
जयन्ती समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. बलराज चौहान, पूर्व कुलपति राममनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ ने महाराज अग्रसेन सूर्यवंशी उनकी पत्नी रानी माधवी नागवंशी थीं। यह विवाह कल्चरल ट्रांसफ्यूजन था। लोकतंत्र में शिक्षा, विद्वता और स्किल होना सफलता के लिए बहुत जरुरी है। क्षत्रियों को इसके लिए तैयार करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि क्षत्रियों ने अपने त्याग , नैतिकता, न्यायप्रियता और शौर्य से हमेशा समाज को आगे बढ़ाया है।समाजसेवा में अग्रगण्य हर्ष वर्धन शाही सूचना आयुक्त यूपी अति विशिष्ट अतिथि तथा पूर्व आई ए एस राघवेंद्र विक्रम सिंह, प्रोफेसर विनोद सोलंकी गोरखपुर विश्वविद्यालय , पूर्व कृषि निदेशक शिव पूजन सिंह, श्रीप्रकाश सिंह विशिष्ट अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर समारोह को संबोधित किया।
जयन्ती समारोह की अध्यक्षता कर रहे महासमिति के अध्यक्ष बाबा हरदेव सिंह ने बताया कि महाराज अग्रसेन सूर्यवंशीय क्षत्रिय राजा थे और पुरुषोत्तम भगवान राम के पुत्र महाराज कुश के वंशज थे। उनका नाम आज भी परमप्रतापी, धार्मिक,
सहिष्णु, समाजवाद के प्रेरक महापुरूष के रुप में उल्लिखित है। उन्होनें अहिंसा का संदेश देकर पशुहिंसा पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया था। हरियाणा क्षेत्र के हिंसार के पास प्राचीन कुरुचला में महाराजराज्य में बसने की इच्छा रखने वाले हर आगन्तुक को राज्य का हर नागरिक उसे मकान बनाने के लिए एक ईंट तथा व्यापार करने के लिए एक मुद्रा दिये जाने की राजाज्ञा महाराज अग्रसेन ने दी थी। उस युग में न लोग बुरे थे, न विचार बुरे
थे और न कर्म बुरे थे। राजा और प्रजा के बीच विश्वास जुड़ा था।
वे एक प्रकाश स्तम्भ थे अपने समय के सूर्य थे। सभी ने मिलजुल कर महान अग्रोहा समाज की स्थापना भी की। महाराज अग्रसेन को समाजवाद का अग्रदूत कहा जाता है। मूल
रूप से उनके जीवन के उनके जीवन के तीन आदर्श हैं-लोकतान्तिक शासन
व्यवस्था, आर्थिक समरूपता तथा सामाजिक समानता।
अध्यक्ष बाबा हरदेव सिंह ने उक्त बातें ‘महाराज अग्रसेन का जीवन, उनका महानतम योगदान और वर्तमान परिस्थिति में उसकी प्रासंगिकता’ विषय का प्रवर्तन
करते हुए कही।
क्षत्रिय समाज को विषम परिस्थितियों से उबारने के लिए बहुत बड़े प्रयास की जरुरत है। ऐसी दशा में इस संगठन की जिम्मेदारी है कि वह युवाओं में
आगे बढ़ने की इच्छा जाग्रत करे और महाराज अग्रसेन द्वारा अपनायी गयी नीति को
किस तरह आत्मसात करके आगे बढ़ा जाये इस पर कठिन परिश्रम करें।
महासमिति महासचिव इंद्रासन सिंह ने कहा कि निश्चित रूप से जरूरतमंद लोगों और बेरोजगार युवक युवतियों को उचित मार्ग दर्शन देकर उन्हे आर्थिक दृष्टि से सशक्त बनाने का संकल्प महाराज अग्रसेन जी के पद चिन्हों पर चलकर पूरा हो सकता है।
कार्यक्रम के अंत में लगभग एक दर्जन क्षत्रिय परिवार के कार्यकर्ताओं को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया ।

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