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“कुर्सी छिनते ही आंखों का पानी पर जाता है”

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खिलखिलकर हंसे सीडीआरआई के वैज्ञानिक

लखनऊ, 3 अक्टूबर। आज लखनऊ के केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान में वैज्ञानिकों और रिसर्च स्कॉलर के बीच में जाने माने कवियों ने खूब हंसाया। सीडीआरआई के राजभाषा अनुभाग के तत्वावधान में आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में कवियों ने निम्न पंक्तियां पढ़ीं। खचाखच भरे प्रेक्षागृह में श्रृंगार, वीर रस और हास्य की कविताएं गूंजती रहीं। लखीमपुर से आए आशीष अनल ने तिरंगे की आराधना करते हुए पढ़ा..
केसरिया माता का श्रृंगार दान है,
श्वेत रंग प्यार शांति का निशान है,
चक्र शौर्य शक्ति का खुला बयान है
हरा रंग हरा भरा हिंदुस्तान है।

डॉ श्लेष गौतम प्रयागराज ने बेटियों का महत्व बताते हुए कहा..
दुर्गा हैं काली मां हैं भवानी हैं बेटियां
राधा सी मीरा मां सी दीवानी है बेटियां
हिम्मत की हौसले की कहानी हैं बेटियां
आया जो वक्त झांसी की रानी है बेटियां

संचालक सर्वेश अस्थाना ने व्यंग्य पढ़ा ..
ये बात अब एकदम साफ है
रंग बदलने के मामले में नेता गिरगिट का बाप है

व्यंग्यकार पंकज प्रसून ने राजनीति पर तंज करते हुए पढ़ा ..
कुर्सी का पानी से गहरा नाता है
कुर्सी छिनते ही आंखों में पानी भर जाता है
और कुर्सी मिलते ही आंखों का पानी मर जाता है

कानपुर से आए डा सुरेश अवस्थी ने दोहे में अपनी बात रखते हुए कहा ..
छत पर चढ़ जो मारते,
सीढ़ी को ही लात।
जीवन में बनती नहीं
उनकी बिगड़ी बात

कवि सम्मेलन में निदेशक डा. राधा रंगराजन ने सारे कवियों का सम्मान किया। इससे पहले हिंदी पखवाड़े के दौरान हुई प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।

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