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कद्दू की फसल में लागत कम मुनाफा ज्यादा।

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कानपुर नगर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह द्वारा जारी निर्देश के क्रम में सोमवार को प्रसार निदेशालय के समन्वयक /निदेशक प्रसार डॉक्टर ए. के. सिंह ने बताया कि कद्दू या सीताफल महत्वपूर्ण सब्जी फसल है। उन्होंने बताया कि कद्दू के पक्के व कच्चे फलों को सब्जी के रूप में प्रयोग किया जाता है। जो एक बहुत ही पौष्टिक व सुपाच्य सब्जी है। कद्दू में विटामिन ए, बी एवं सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें बीटा कैरोटीन है जो हमारे शरीर के लिए लाभकारी है आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम एवं फाइबर भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। उन्होंने बताया कि इसे सामान्य तापमान पर जहां पर हवा का संचार ठीक हो कई महीनों तक भंडारित किया जा सकता है।

डॉ. सिंह ने बताया कि कद्दू की बुवाई का समय जुलाई माह है लेकिन विलंब की दशा में इसे अगस्त महीने में भी बोया जा सकता है। इसकी बुवाई बरसात के समय मेढ़े बनाकर करना लाभप्रद रहता है। डॉ. सिंह ने कद्दू की उन्नत किस्मों के बारे में बताया कि पूसा विश्वास, पूसा विकास,अर्का चंदन, अर्का सूर्यमुखी आदि प्रमुख प्रजातियां हैं। डॉक्टर एक के सिंह ने एडवाइजरी दी है कि निसंदेह कम लागत में अच्छी फसल के रूप में कद्दू की खेती करना सबसे बेहतर विकल्प है। इस में लगने वाले कीट रोगों और फफूंदी रोगों की समय रहते रोकथाम और उचित जानकारी लेकर कीटनाशक या नीम की पत्ती का घोल का छिड़काव कर फसल को कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

मीडिया प्रभारी डॉ. खलील खान ने कहा कि  सीताफल की खेती करते समय 80 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस एवं 50 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि सिंचाई की आवश्यकता कद्दू फसल में बहुत कम पड़ती है।

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