सहारा हॉस्पिटल में जाने से पूर्व मरीज ने अन्य प्राइवेट हॉस्पिटल में भी सम्पर्क किया जहां मरीज को यह बताया गया कि ऑपरेशन के दौरान मरीज का हाथ बचाने की कोशिश करेंगे परन्तु हाथ बच पाने की सम्भावना बहुत कम है और साथ ही चिकित्सा खर्च भी लगभग पांच से छह लाख तक बताया गया था।
ज्ञात हो कि सहारा हॉस्पिटल लखनऊ में उनका न केवल हाथ कटने से बचाया गया बल्कि लगभग आधे से भी कम दरों पर सफलतापूर्वक ऑपरेशन भी किया गया। मरीज का भाई व उसके परिवारजन इतने कम खर्चे में इलाज पाकर और सफल ऑपरेशन से बेहद सन्तुष्ट इसलिए हुए कि भविष्य में मरीज अपने हाथ से सारे काम करने में सक्षम होगा।
इस प्रकरण के माध्यम से डॉक्टर अनुराग का यह संदेश है कि सामान्यतः यह माना जाता है कि हाथ या पैर की खून की मुख्य नसों के कटने के बाद उन्हें 6 घंटे के अन्दर जोड़ना चाहिए जैसा कि इस मरीज को दूसरे हॉस्पिटल में बताया गया कि हाथ काटना पड़ेगा लेकिन सहारा हॉस्पिटल लखनऊ में कोशिश करने पर न सिर्फ हाथ को कटने से बचाया गया बल्कि आश्वासन भी दिया गया कि कुछ महीने बाद वह अपने हाथ से सारे काम भी कर पायेगा।
सहारा हॉस्पिटल के वरिष्ठ सलाहकार अनिल विक्रम सिंहजी ने बताया कि हमारे अभिभावक “सहाराश्री”जी ने विश्व स्तरीय सहारा हॉस्पिटल का निर्माण करवाया है जहां हर वर्ग की जरूरत के हिसाब से बेहद किफायती दरों पर इलाज उपलब्ध है। श्री सिंह ने बताया कि लोगों को इस बड़े हॉस्पिटल को देखकर लगता है कि यह महंगा ही होगा जबकि यहां पर उचित सेवाएं, इलाज उचित मूल्य पर उपलब्ध हैं।