धरती पर मनुष्य से ज्यादा चतुर कोई भी जीव नहीं है। लेकिन भगवान के दरबार में कभी भी चतुराई नहीं चलती है। भगवान के दरबार में चतुराई करने वाला व्यक्ति कभी भी सुखी नहीं रह पाता है। बात-बात में छल पूर्वक चतुराई करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी सुखी नहीं हो पाता है। भगवान की कथा से हमें यही शिक्षा मिलती है।
उक्त बातें लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी , दयालबाग में चल रही नौ दिवसीय श्री राम कथा के आठवें दिन पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने व्यासपीठ से कहीं।
सरस् श्रीराम कथा गायन के माध्यम से भारतीय और पूरी दुनिया के सनातन समाज में अलख जगाने के लिए जनप्रिय कथावाचक प्रेमभूषण जी महाराज ने चित्रकूट से भैया भरत की वापसी से आगे के प्रसंगों का गायन करते हुए कहा कि
भगवान की कृपा प्राप्त करनी है तो हमें स्वयं अपने आहार, व्यवहार और विचार में परिवर्तन लाने की जरूरत है। हमें मानस जी की यह शिक्षा हमेशा ध्यान में रखनी चाहिए – मन, कर्म, वचन छाड़ि चतुराई, भजत कृपा करि हहिं रघुराई। जीवन में कभी भी सज्जनता का त्याग नहीं करना चाहिए। क्योंकि भगवान भी सज्जनों की पीड़ा का हरण करने के लिए ही आते हैं।
महाराज जी ने कहा कि सुख चाहते हैं तो बनावटी जीवन से बचने का प्रयास करें। जो व्यक्ति जीवन में बनावटीपन का आश्रय लेता है उसका जीवन स्वतः दुखों में घिरता चला जाता है। वह चाह कर भी उन दुखों से बाहर नहीं निकल पाता है।
हमारा एक सूत्र है- जितनी बनावट उतनी मिलावट और जितनी मिलावट उतनी गिरावट। जीवन को सहज और सरल जीना है तो हमें बनावट से बचना चाहिए। बनावटीपन कभी भी हमारे उत्थान में सहयोगी नहीं हो सकता है।
महाराज जी ने कहा कि सत्कर्म के लिए जीवन में समय निकल नहीं पाता है इसे निकालना पड़ता है। और खास कर राम कथा तो मनुष्य के लिए एक ऐसा दुर्लभ साधन है जो भगवान की आतिशय कृपा और अपने पूर्व जन्म के पुण्य के आधार पर ही प्राप्त हो पाती है। पूर्व जन्म के पुण्य से अगर हम कथा मंडप में पहुंच भी जाते हैं तो कथा हमारे कान में नहीं जा पाती है, कान में जाने पर भी समझ नहीं आती है। इसके लिए प्रभु की ही कृपा जरूरी होती है।
महाराज जी ने कहा कि अगर अपने जीवन में पछतावे से बचना है तो मन में जैसे ही कोई शुभ संकल्प आता है, सत्कर्म का संकल्प आता है तो उसे तुरंत पूरा करने के उद्यम में लग जाना चाहिए। संकल्प यदि दृढ़ हो तो भगवान स्वयं उसे पूरा कराने में मदद करते हैं। लेकिन अगर संकल्प में भी कोई चतुराई रखता है तो ऐसे व्यक्ति को बाद में भुगतना भी पड़ता है।
सुग्रीव द्वारा माता सीता का पता लगाने से संबंधित संकल्प को सुनाते हुए महाराज श्री ने कहा कि सुग्रीव का संकल्प राम जी के ही भरोसे है। क्योंकि वह तो बाली के द्वारा मारकर भगाए हुए हैं और खुद ही छिपकर रह रहे हैं। फिर भी हमें यह प्रसंग बताता है कि अगर कोई हम पर भरोसा करता है तो हम भाग्यशाली हैं। क्योंकि हम भरोसा करने लायक हैं। साथ ही उस व्यक्ति के भरोसे की रक्षा करने का कर्तव्य भी बनता है और अगर कोई इस भरोसे को तोड़ता है तो व्यवहार में इसे हम कृतघ्नता कहते हैं।
महाराज जी ने कहा कि यह संसार मनुष्य के लिए कई प्रकार की बाधाओं से भरा हुआ है। हर किसी के पास अपनी व्यथा की एक अलग ही कथा है, जिसे सुनकर हर किसी का मन विचलित होता है। लेकिन जब हम प्रभु की कथा सुनते हैं, चाहे किसी भी विधि से सुनते हैं तो मन में एक आनंद और नए उत्साह का निर्माण होता है।
महाराज जी ने कहा कि कथा तो भगवान की ही सुनने लायक है। हर जीव के पास उसकी कथा से ज्यादा उसकी व्यथा है। प्रभु की कथा हम जितनी बार सुनते हैं हमेशा नित्य नई लगती है और मन को शांति प्रदान करती है।
भगवत प्रसाद का रस जिसे लग जाता है, वह धन्य हो जाता है। महर्षि बाल्मीकि की यह शिक्षा मनुष्य को हमेशा याद रखने की आवश्यकता है कि भगवत प्रसाद का रस अपने आप प्राप्त नहीं होता है। इसके लिए प्रयास करना ही पड़ता है। और जिस मनुष्य को इस प्रसाद का रस लग जाता है तो उसकी सभी कर्मेंद्रियां अपने आप भगवान में लग जाती हैं। और ऐसे ही मनुष्य का जीवन धन्यता को प्राप्त होता है।
महाराज श्री ने कहा कि जीवन में कभी भी किसी कार्य के अपूर्ण होने से घबड़ाना नहीं चाहिए, क्योंकि हर कार्य का एक निश्चित समय होता है। और अगर किसी कारण से वह कार्य पूर्ण नहीं होता है तो भी मनुष्य को अपने प्रयास बंद नहीं करने चाहिए। हमारे सद्ग्रन्थ हमें सिखाते हैं कि जीवन में मनुष्य के लिए उसका श्रम और उसका कर्म ही उसके भविष्य का निर्माण करते हैं।
कथा के आयोजक उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की पूजनीया माता जी , सह आयोजक दयाल ग्रुप के चेयरमैन राजेश सिंह दयाल और खुशहाली फाउंडेशन के चेयरमैन सोनू सिंह ने व्यास पीठ पर उपस्थित भगवान का पूजन किया और भगवान की आरती की। कई विशिष्ट अतिथि कथा में उपस्थित रहे। बड़ी संख्या में उपस्थित श्रोतागण को महाराज जी के द्वारा गाए गए दर्जनों भजनों पर झूमते हुए देखा गया। कथा की व्यवस्था में लगे देवेश राय ने बताया कि कल कथा पूर्णाहुति के बाद मंत्री जी की ओर से विशाल भंडारा सम्पन्न होगा।