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ऑपरेशन सिन्दूरः भारत की वैश्विक भूमिका का उदय

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धीरेन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ। पहलगाम में हुए क्रूर हमले का मुंहतोड़ जवाब देते हुए भारतीय वायु सेना ने 6-7 मई, 2025 की रात को पाकिस्तान पर सफल हवाई हमला किया, जिसका कोड नाम “ऑपरेशन सिंदूर” रखा गया। यह ऑपरेशन कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के नेतृत्व में किया गया। पिछले अभियानों के आक्रामक और शक्ति प्रदर्शन पर केंद्रित नामों के विपरीत, इस अभियान का नाम पीड़ितों, विशेषकर पहलगाम हमले की विधवाओं, के प्रति व्यक्तिगत श्रद्धांजलि स्वरूप चुना गया था। भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर (पीओके) में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के 9 आतंकवादी ठिकानों को नष्ट कर दिया, जिनमें शामिल हैं जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख अब्दुल रऊफ अजहर सहित 100 से अधिक आतंकवादी मारे गये। ऑपरेशन सिंदूर’ में उच्च परिशुद्धता वाले हथियारों का प्रयोग किया गया थाः भारतीय वायु सेना (IAF) ने इन अभियानों को अत्यधिक सटीकता और न्यूनतम * संपार्श्विक *क्षति के साथ अंजाम देने के लिये SCALP क्रूज़ मिसाइल, हैमर प्रिसिजन-गाइडेड बम और लोइटरिंग म्यूनिशन जैसी उन्नत प्रणालियों का इस्तेमाल किया।

भारत के हालिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान में रणनीतिक उथल-पुथल साफ दिखाई दे रही है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर, जो हाल ही में फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत हुए हैं, हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा पर थे। इस यात्रा का उद्देश्य संयुक्त राज्य अमेरिका से कूटनीतिक और रणनीतिक समर्थन प्राप्त करना था।

पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने डोनाल्ड ट्रम्प ko पाकिस्तान और भारत के बीच युद्ध रोकने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार देने की अपील करके दुनिया को चौंका दिया। भारत ने ट्रम्प और मुनीर के मध्यस्थता के दावों का दृढ़ता से खंडन किया। गौरतलब है कि भारत जनरल मुनीर को पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड मानता है।

भारत को डर है कि जनरल असीम मुनीर की अमेरिकी यात्रा से पाकिस्तान-अमेरिका संबंध मजबूत हो सकते हैं, खासकर आतंकवाद-रोधी और क्षेत्रीय सुरक्षा के क्षेत्रों में। अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कोरेला ने पाकिस्तान को आईएसआईएस-खोरासान के खिलाफ एक “विश्वसनीय साझेदार” बताया है, जिससे भारत की चिंताएं और बढ़ गई हैं। क्योंकि इससे भारत के क्षेत्रीय आधिपत्य को चुनौती मिल सकती है।
ऑपरेशन सिंदूर (6-7 मई, 2025) में भारत ने पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकवादी शिविरों को नष्ट कर दिया, जिसे वह पहलगाम हमले (22 अप्रैल, 2025) के जवाब में एक वैध कार्रवाई कहता है। भारत का दावा है कि यह हमला पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित था, जबकि पाकिस्तान इस आरोप से इनकार करता रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि पाकिस्तान, विशेषकर उसकी सेना, हमेशा भारत में आतंकवादी हमलों को अंजाम देती रही है। जनरल मुनीर की संभावित अमेरिका यात्रा के साथ, पाकिस्तान ने वैश्विक मंच पर अपना पक्ष प्रस्तुत कर भारत के आख्यान को कमजोर करने का शर्मनाक प्रयास किया, लेकिन भारत ने पाकिस्तानी जनरल के बयानों का पुरजोर खंडन कर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी।

भारत को इस बात पर आपत्ति है कि संयुक्त राज्य अमेरिका पाकिस्तान के तथाकथित आतंकवाद-रोधी प्रयासों की प्रशंसा कर रहा है, जबकि भारत का आरोप है कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है, विशेषकर जम्मू और कश्मीर में। जनरल मुनीर की यात्रा का उ‌द्देश्य कथित तौर पर आईएसआईएस-खोरासान के खिलाफ पाकिस्तानी अभियानों को उजागर करना, अमेरिकी अधिकारियों के साथ खुफिया सहयोग बढ़ाना और भारत के ऑपरेशन सिंदूर की कहानी को चुनौती देना है।

जनरल मुनीर ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की कार्रवाई को “अवैध और गैरजिम्मेदाराना” करार दिया था। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि उसने भारतीय हमलों का प्रभावी ढंग से जवाब दिया। हालाँकि, यह बयान पाकिस्तानी जनता को खुश रखने की एक चाल मात्र थी। भारतीय सूत्रों का कहना है कि जनरल मुनीर के नेतृत्व वाली पाकिस्तानी सेना को सीमा पर संघर्ष में भारी नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन पाकिस्तान इसे स्वीकार नहीं करता है।

वाशिंगटन में एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान जनरल मुनीर ने व्हाइट हाउस में दोपहर के भोजन पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात की। सूत्रों के अनुसार, यह मुलाकात तब संभव हुई जब मुनीर ने ट्रम्प को “नोबेल” शांति पुरस्कार के लिए नामित करने की अपील की।
संयुक्त राज्य अमेरिका में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने आसिम मुनीर के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया, उन्हें ‘हत्यारा’ और ‘भगोड़ा’ जैसे नामों से पुकारा और ‘आसिफ मुनीर शर्म करो’ जैसे नारे लगाए। कहा जा रहा था कि आसिफ मुनीर डोनाल्ड ट्रंप के साथ खड़े होकर अमेरिकी सैन्य परेड की सलामी लेंगे। हालाँकि, 14 जून की परेड में आसिफ मुनीर का कोई सुराग नहीं मिला।

पाकिस्तान के निवेश मंत्री कैसर अहमद शेख ने सनसनीखेज खुलासा किया है कि फील्ड मार्शल असीम मुनीर के अमेरिकी निवेश में भारी गिरावट आई है। यह यात्रा बलूचिस्तान के खनिज संसाधनों पर समझौते के लिए थी। इस बीच, पीटीआई और अन्य विपक्षी नेताओं ने बैठक को ‘राजनीतिक धोखाधड़ी’ करार दिया है। उन्होंने पूछा, “क्या अब निवेश मंत्रालय सेना चला रही है?” सेना बलूचिस्तान के संसाधनों पर सौदे क्यों कर रही है? बलूचिस्तान में पहले से ही स्वतंत्रता की मांग कर रहे विद्रोही समूहों का आरोप है कि पाकिस्तानी सेना वहां दबाव बना रही है और स्थानीय लोगों को उनके संसाधनों से वंचित कर रही है। अब ये अंतर्राष्ट्रीय सौदे इस असंतोष को और बढ़ाएंगे।

ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी की फोन पर बातचीतः

राष्ट्रपति रोनाल्ड ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी के बीच हाल ही में 35 मिनट तक फोन पर बातचीत हुई। यह वार्ता राष्ट्रपति ट्रम्प के अनुरोध पर हुई, क्योंकि जी-7 शिखर सम्मेलन में उनकी निर्धारित बैठक ट्रम्प के जल्दी अमेरिका लौटने के कारण रद्द कर दी गई थी। इस बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को “ऑपरेशन सिंदूर” के बारे में विस्तार से जानकारी दी, जिसे 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद आतंकवादी ठिकानों के खिलाफ भारत द्वारा शुरू किया गया था। मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत ने 6-7 मई की रात को केवल पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था और भारत की कार्रवाई बहुत संतुलित, सटीक और अहिंसक थी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब आतंकवाद को छद्‌म युद्ध के रूप में नहीं बल्कि पूर्ण युद्ध के रूप में देखता है और “ऑपरेशन सिंदूर” अभी भी जारी है।

भारत ने बैठक से इनकार क्यों किया ?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से “मिलने से इनकार” करके ट्रम्प को आश्चर्यचकित कर दिया। गौरतलब है कि इस फोन कॉल के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रम्प के इस दावे को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया कि “अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह का युद्धविराम कराया था या उस दौरान किसी भी व्यापार समझौते पर बातचीत हुई थी।” मोदी ने ट्रम्प से साफ कहा कि “भारत कभी भी किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा और सैन्य अभियानों को रोकने के लिए वार्ता सीधे भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच हुई थी और इसकी शुरुआत पाकिस्तान के अनुरोध पर हुई थी।” भारत ने हमेशा यह कहा है कि कश्मीर एक ‌द्विपक्षीय मुद्दा है और इसमें किसी तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस फोन कॉल में भी इस बात को दृढ़ता से दोहराया। और कश्मीर मुद्दे पर अपना पारंपरिक रुख कायम रखा।

ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सामरिक सफलता की कहानी नहीं है। यह भारत की रक्षा स्वदेशीकरण नीतियों की पुष्टि है। वायु रक्षा प्रणालियों से लेकर ड्रोन तक, काउंटर यूएएस क्षमताओं से लेकर नेट-केंद्रित युद्ध प्लेटफार्मों तक, स्वदेशी तकनीक ने तब काम किया है जब इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी। निजी क्षेत्र के नवाचार, सार्वजनिक क्षेत्र के कार्यान्वयन और सैन्य दृष्टि के संयोजन ने भारत को न केवल अपने लोगों और क्षेत्र की रक्षा करने में सक्षम बनाया है, बल्कि 21वीं सदी में एक हाई-टेक सैन्य शक्ति के रूप में अपनी भूमिका को भी पुख्ता किया है। भविष्य के संघर्षों में, युद्ध के मैदान को तेज़ी से तकनीक द्वारा आकार दिया जाएगा। और जैसा कि ऑपरेशन सिंदूर में दिखाया गया है, भारत अपने स्वयं के नवाचारों से लैस, एक दृढ़ निश्चयी राज्य द्वारा समर्थित और अपने लोगों की सरलता से संचालित होने के लिए तैयार है।

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