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उपन्यास ‘ मैं मधु ‘ महिला आदर्शवाद का रास्ता दिखाता है : अकबाल बहादुर 

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उपन्यास ‘ मैं मधु ‘ का लोकार्पण समारोह

लखनऊ , 18 सितम्बर 2022। श्री रामलीला समिति ऐशबाग तुलसी शोध संस्थान एवं अमृतायन संस्था के संयुक्त तत्वावधान में आज तुलसी सभागार ऐशबाग में उपन्यासकार सलोनी सौरभ के सद्य: प्रकाशित उपन्यास ‘ मैं मधु ‘ के लोकार्पण समारोह का आयोजन किया गया।

समारोह के मुख्य अतिथि डॉ महेंद्र भीष्म ( वरिष्ठ उपन्यासकार), विशिष्ट अतिथि डॉ विनय दास ( वरिष्ठ समीक्षक), पं आदित्य द्विवेदी, हरीश चन्द अग्रवाल, केवल प्रसाद सत्यम एवं अकबाल राही ने सलोनी सौरभ के उपन्यासकार ‘ मै मधु ‘ का लोकार्पण किया।

मुख्य अतिथि डॉ महेन्द्र भीष्म ने अपने वक्तव्य में कहा कि लेखिका सलोनी सौरभ का उपन्यास ‘ मैं मधु ‘ प्रारम्भ में विचलन फिर आगे यह उपन्यास सकारात्मकता लिये सुखान्त होता है। एक परिव्यक्ता स्त्री और पुरुष के भविष्य का जीवन दुरुह होता है, ऐसे जीवन को सुगम बनाया जा सकता है। उन्होने आगे कहा कि धैर्य, सहनशीलता और क्षमाशील होने से यह इस उपन्यास की खूबी है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ विनय दास ने कहा कि सलोनी सौरभ का उपन्यास मैं मधु एक भारतीय नारी के संघर्ष और व्यथा का पठनीय आख्यान है। मधु का दूसरे के बच्चों को अपना लेना और स्वयं को मातृत्व सुख से विमुख करके सतीश और उसके दोनो बच्चों के लिए पूर्ण समर्पित हो जाना भारतीय नारी के आदर्शों को प्रस्तुत करता है। उन्होने आगे कहा कि कहना ना होगा की सलोनी सौरभ हिन्दी पट्टी से न आने के कारण चेतन भगत और सत्य व्यास के उपन्यास लेखक परम्परा से जुड़ती हैं जो इनके लिए भविष्य में ऐतिहासिक सिद्ध होगा।

अकबाल बहादुर राही ने अपने सम्बोधन में कहा की सलोनी सौरभ के ‘ मैं मधु ‘ उपन्यास एक उत्कृष्ट उपन्यास है। इस उपन्यास से समाज को आत्म संयम, संघर्स, दूसरे बच्चों से भी प्रेम करने की सीख मिलती है। यह उपन्यास सुखान्त है, सुखद अनुभूति देता है। मैं मधु उपन्यास महिला आदर्शवाद का रास्ता दिखाता है।

समारोह में पं आदित्य द्विवेदी ने कहा कि यह उपन्यास अन्तर्मन को उद्वेलित करता है। डॉ अशोक अज्ञानी ने कहा कि यह कृति बुराई से अच्छाई की ओर ले जाती है।

पं आदित्य द्विवेदी की अध्यक्षता और डॉ अरविन्द झा के संयोजन मे अनेक वरिष्ठ कवियों ने अपने काव्य पाठ से श्रोताओं को आह्लादित किया। इस अवसर पर रेणू वर्मा, डॉ दिनेश जायसवाल, सलोनी सौरभ सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों के अलावा तमाम साहित्यसुधी श्रोता उपस्थित थे।

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